रेबीज़ से बचने लगायें टीका
रेबीज़ एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के जीवों को प्रभावित करती है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है और वायरस (न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स; के कारण होता है जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोचने से मनुष्यों में फैलता है। 15 साल तक के बच्चों को रेबीज़ से सबसे ज़्यादा खतरा होता है। इससे बचाव के लिए रेबीज का टीका लगवाएं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 59000 लोग रेबीज के कारण मरते हैं। उनमें से 90 प्रतिशत की मौत रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से होती है। भारत में, प्रत्येक वर्ष रेबीज से 18,000 से 20,000 लोगों की मृत्यु होती हैं। इनमें कई बच्चे शामिल हैं, अक्सर चिकित्सा सुविधाओं कमी के कारण मर रहे हैं – जिसका अर्थ है कि उनकी मृत्यु रिकॉर्ड तक नहीं हो पाती है।
सितंबर 28 को जीएआरसी द्वारा विश्व रेबीज़ दिवस बनाया गया है, जिसे जीएआरसी सालाना मनाता व समन्वित करता है। इसका उद्देश्य रोग के प्रति जागरूकता में वृद्धि और इसकी रोकथाम को बढ़ाना है। यह रेबीज स्थानिक देशों पर केंद्रित है।
रेबीज़ के कारण
रेबीज वायरस के कारण रेबीज संक्रमण होता है। वायरस संक्रमित जानवरों की लार के माध्यम से फैल जाता है। संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या किसी व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं। दुर्लभ मामलों में, रेबीज फैल भी सकता है, जब संक्रमित लार एक खुले घाव या श्लेष्म झिल्ली, जैसे कि मुंह या आँख में चला जाता है। ऐसा तब हो सकता है जब कोई संक्रमित जानवर आपकी त्वचा पर किसी खुले व कटे हुए घावों को चाटता हो। पशु के ऊपरी त्वचा को चाटने से यह वायरस नहीं फैलता व टीके की आवयशकता नहीं होती है परन्तु यह वायरस किसी कटी हुई चोट या खुले घाव को चाटने से फैल जाता है और आपको टीके की आवयशकता होती है।
रेबीज वायरस फैलाने वाले या संचारित करने वाले पशु:
कोई भी स्तनपायी जानवर (एक जानवर जो कि अपने बच्चे को दूध पिलाता है) रेबीज वायरस संचारित कर सकता है पर यह अधिकांश कुत्ते के काटने से होता है।
दुर्लभ मामलों में, अंग प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं के ऊतकों व अंगों में दुसरे के संक्रमित अंगो के माध्यम से विषाणु संचारित हो जाता है या फ़ैल जाता है।
रेबीज़ से बचाव
रेबीज एक ऐसा रोग है जिसे रोका या निवारण किया जा सकता है। रेबीज से बचने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
जानवरों के साथ मिलकर काम करने या रेबीज वायरस से सम्बंधित प्रयोगशाला में काम करने से पहले रेबीज टीकाकरण प्राप्त करें।
अपने पालतू जानवरों को टीका लगवाएं।
अपने पालतू जानवरों को बाहर न घूमने दें।
आवारा जानवरों की जानवरों के नियंत्रण-विभाग में रिपोर्ट करें।
जंगली जानवरों के संपर्क से बचें।
अपने घर व उसके आसपास कुत्ते, बन्दर व चमगादड़ दिखें जिससे आपको खतरा महसूस होता है तो स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को जानकारी दें।
रेबीज़ के प्रकार –
रेबीज दो रूप में हो सकता है
उग्र रेबीज – संक्रमित लोग जो उग्र रेबीज से पीड़ित होंगे, अति सक्रिय, उत्साहित और अनियमित व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। अन्य लक्षण निम्नलिखित है।
व्याकुलता व अशांति
दु: स्वप्न
अतिरिक्त लार
निगलने की समस्याएं
पानी से डर
पैरालिटिक रेबीज – रेबीज़ को यह रूप लेने में अधिक समय लगता है, लेकिन प्रभाव उतना ही गंभीर हैं। संक्रमित लोग धीरे-धीरे अपंग हो जाते हैं, अंततः कोमा में भी जा सकते हैं व मृत्यु भी हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, के 30 प्रतिशत मामले में पैरालिटिक रेबीज होता है।
रेबीज़ के लक्षण –
रेबीज के शुरूआती लक्षण फ्लू के समान होते हैं, और कुछ दिनों तक रहते हैं। बाद में लक्षण बढ़ सकते हैं।
बुखार
सरदर्द
मतली
उल्टी
व्याकुलता व अशांति महसूस करना
चिंता
उलझन
अति सक्रियता
निगलने में कठिनाई
अत्यधिक लार आना
पानी से डर (हाइड्रोफोबिया)
दु: स्वप्न
अनिद्रा
आंशिक अपंग या पक्षाघात होना