बढ़ते प्रदूषण से कराह रही धर्म नगरी चित्रकूट की जीवन रेखा मंदाकिनी
चित्रकूट,5मार्च(हि.स.)।माता सती अनुसूइया के तपोबल से निकली धर्म नगरी चित्रकूट की लाइफ लाइन ’मन्दाकिनी नदी’ का अस्तित्व ख़त्म होने की कगार पर है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनो प्रदेशों के लगातार गिरते आ रहे गंदे नालो से बढे प्रदूषण से मन्दाकिनी कराह रही है। सुंदरीकरण के नाम पर नदी पर घाटों और रपटों के निर्माण से सैकड़ो जल स्रोतों बंद हो चुके है।जिससे नदी का जल स्तर निरंतर घटता जा रहा हैं और नदी एक गंदे नाले का स्वरूप लेती जा रही है।मंदाकिनी की दुर्दशा देख आहत संत समाज धर्म नगरी की जीवन रेखा को बचाने के लिए सड़क पर उतरने का मन बना रहा है।
माता सती अनुसुइया के तप से अवतरित पुण्य सलिला मंदाकिनी का प्रभाव तो भागीरथी गंगा से भी अधिक है। मंदाकिनी के रामघाट तट पर ही संत गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम से साक्षात्कार कर उन्हें चन्दन से तिलक लगाया था। लेकिन आज गंदे नालों के गिरने से प्रदूषित हुई ऐतिहासिक पवित्र पावनी मंदाकिनी की स्थिति को देखकर धर्म नगरी का संत समाज खासा चिंतित और दुखी है। धर्म नगरी चित्रकूट में पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत संघर्ष कर रहे कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत स्वामी मदन गोपाल दास का कहना है कि मंदाकिनी नदी का वर्णन रामायण,महाभारत के साथ-साथ कई पुराणों में मिलता है।
मन्दाकिनी चित्रकूट की पहचान है। लेकिन सुंदरीकरण के नाम पर मंदाकिनी के किनारे पक्के घाटों एवं रपटो के हुए निर्माण से सैकडों जल स्रोत बंद हो गये है।वही रामघाट के पास सरयू नाले का गंदा पानी गिरने से भी मंदाकिनी का पानी प्रदूषित हो रहा हैै।उनका मानना है कि यदि दोनों प्रदेश की सरकारों ने मन्दाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने और बंद हुए जल स्रोतों को खुलवाने के लिए जल्द ठोस पहल नही की तो कहीं पवित्र पावनी मंदाकिनी नदी इतिहास के पन्नों में सिमट कर न रह जायें।इसके अलावा श्रमदान के माध्यम से मंदाकिनी की सफाई का अभियान चलाने वाले गायत्री शक्ति पीठ के व्यावस्थापक डा0रामनारायण त्रिपाठी का कहना है कि मंदाकिनी को प्रदूषण से मुक्त एवं पक्के निर्माणों से दबे जल स्रोतों को खोलने के लिए दोनों सरकारों को ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है।
जब तक मशीनों से नदी की अंदर से सफाई नही करायी जायेंगी।तब तक स्वच्छ और सुंदर मंदाकिनी बनाने का संकल्प केवल सपना ही रहेगा। इसके अलावा मंदाकिनी की सफाई के लिए जनजागरण करने वाले चित्रकूट रेंजर्स के अध्यक्ष जुगनू खान,बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह और समाजसेवी अरुण गुप्ता का कहना है कि मंदाकिनी को प्रदूषण से बचाने के लिए करोडों खर्च कर स्थापित किया गया आक्सीडेशन प्लांट अनुपयोगी साबित हो रहा है।मंदाकिनी के रामघाट पर अभी भी गंदा पानी छोडा जा रहा है,जो कभी भी हैजा, पीलिया, कालरा व पेट की बीमारियों का कारण बन सकता है।क्योकि मंदाकिनी नदी से जल संस्थान ट्रीटमेंटों में पानी ले जाकर पूरे जिले में पेयजल की सप्लाई करता है। सरकारों को इन बुनियादी समस्याओ के समाधान के प्रति गंभीर होने की जरूरत है।