टेरिटोरियल आर्मी में महिलाओं की भर्ती न करना गलत : हाईकोर्ट
नई दिल्ली, 05 जनवरी (हि.स.)। टेरिटोरियल आर्मी में महिलाओं को भर्ती न करने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि कोई भी प्रावधान जो महिलाओ को टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती नहीं करता है वह गलत है, महिलाओ और पुरषों में भेदभाव गलत है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि महिलाएं प्रादेशिक सेना में उसके रेलवे इंजीनियर रेजीमेंटों में शामिल हो सकती हैं एवं अपनी सेवाएं दे सकती हैं| उन पर मानद कमीशन के लिए भी विचार किया जाएगा। केंद्र ने कहा था कि टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना के बाद दूसरी रक्षा पंक्ति है।
टेरिटोरियल आर्मी उन स्वयंसेवकों का एक संगठन है जो सैन्य प्रशिक्षण हासिल करते हैं, ताकि उन्हें आपातस्थिति में देश की रक्षा के वास्ते जुटाया जा सके।
केंद्र ने कहा था कि टेरिटोरियल आर्मी में महिला उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया, योग्यता मापदंड और सेवा शर्तों में कोई भेदभाव नहीं है। हलफनामे में कहा गया था कि टेरिटोरियल आर्मी में महिला अधिकारियों को ब्रिगेडियर के रैंक तक प्रोन्नत किया जाता है जो टेरिटोरियल आर्मी के अफसरों के लिए सर्वोच्च रैंक है। टेरिटोरियल आर्मी के 2015 के विज्ञापन, जिसमें केवल कमा रहे रोजगारप्राप्त पुरुषों का ही जिक्र था। उस विज्ञापन में महिलाओं का जिक्र नहीं था| केंद्र ने कहा था कि वो विज्ञापन टेरिटोरियल आर्मी की इंफैंट्री यूनिट में कमीशन के लिए था। इंफैंट्री यूनिट में पुरुषों की भर्ती टेरिटोरियल आर्मी एक्ट के तहत एक नीतिगत फैसला है। इस नीति को इस कानून में संशोधन के बाद ही बदला जा सकता है।