पटना, सनाउल हक़ चंचल-
बिहार के महादलित विकास मिशन में हुए घोटाला मामले में प्रशासनिक महकमे से बड़ी खबर आ रही है. पिछल 6 वर्षों में हुए करोड़ों रुपये के घोटाला मामले में आरोपी आईएएस एसएम राजू के फरार होने की चर्चा है. बताया जा रहा है कि मंगलवार को न उन्हें विभाग में देखा गया है और न ही वे अपने आवास पर ही हैं. इसे लेकर प्रशासनिक महकमे में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं.
बता दें कि महादलितों के 4 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी करने को लेकर निगरानी विभाग ने सोमवार को ही मामला दर्ज किया है. इस घोटाले में खास बात यह है कि इसमें दो आईएएस अफसर के भी नाम शामिल हैं. इनमें एसएम राजू और रवि मनुभाई प्रमुख रूप से शामिल हैं. इनके अलावा आरोपियों में दो रिटायर्ड आईएएस अफसर भी शामिल हैं. कुल 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
इधर नये घटनाक्रम में बताया जा रहा है कि आईएएस एसएम राजू न अपने विभाग में हैं और न ही अपने आवास पर ही हैं. दरअसल सामान्य प्रशासन विभाग ने राजू को सदेह उपस्थित होकर नोटिस लेने और उसका जवाब देने को कहा है. वहीं विभाग ने चेतावनी भी दी है कि अगर वे सदेह उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ विभाग एकतरफा एक्शन लेगा. चर्चा तो यह भी है कि उनकी किसी भी समय गिरफ्तारी हो सकती है. इसी डर से वे फरार बताये जा रहे हैं.
गौरतलब है कि महादलितों के उत्थान के लिए वर्ष 2007 में सूबे में महादलित विकास निगम का गठन किया गया था. इसका मूल उद्देश्य महादलितों का विकास करना था. लेकिन निगम का काम विधिवत रूप से वर्ष 2010 में शुरू हुआ. यह निगम अभी भी काम कर रहा है. बताया जाता है कि ये घोटाले वर्ष 2010 से 2016 के बीच हुई जांच में सामने आया है. इसे लेकर निगरानी विभाग ने सोमवार को मामला दर्ज किया है.
जानकारी के अनुसार 10 आरोपियों में आईएएस एसएम राजू और रवि मनुभाई के अलावा रिटायर्ड आईएएस केपी रमैया और रामाशीष पासवान शामिल हैं. बताया जाता है कि रमैया अभी बीएलटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. अन्य आरोपियों में प्रमुख रूप से प्रभात कुमार, देव जानी, उमेश कुमार मांझी, शरद कुमार झा, सौरभ बसु, जयदीप कौर आदि शामिल हैं.
गौरतलब है कि महादलितों के विकास के लिए राशि खर्च की जानी थी, लेकिन प्रशिक्षणार्थियों का गलत डेटा दिखा कर राशि की हेराफेरी कर ली गयी. महादलित विकास निगम में विभिन्न योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये इधर से उधर कर दिये गये. मामला उजागर होते ही महादलित विकास निगम ने मुख्य सचिव को कार्रवाई के पत्र लिखा. इसके बाद इसकी जांच निगरानी विभाग को सौंपी गयी. जांच के बाद निगरानी डीएसपी अरुण कुमार ने निगरानी कांड नंबर 81/17 दर्ज कराया. यह मामला 406, 409, 420, 467, 468, 471 (ए) व 120 बी की धारा के तहत दर्ज किया गया है.