कांग्रेस से इस्तीफे के बाद नाराज नारायण राणे , कांग्रेस व शिवसेना को सिखायेंगे सबक !
मुंबई, 21 सितम्बर : कांग्रेस पार्टी से नाराज वरिष्ठ नेता नारायण राणे ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह जानकारी खुद राणे ने कणकवली में पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए दी है। राणे ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है और विधानपरिषद की सदस्यता का भी इस्तीफा विधानपरिषद सभापति को भेज दिया है।
राणे ने कहा कि वह नवरात्रि भर राज्यव्यापी दौरा करने वाले हैं और दौरे की शुरुआत वह नागपुर से करने वाले हैं। इसके बाद विजयादशमी तक वह अपने अगले कदम के बारे में पत्रकारों को बताने वाले हैं। इस अवसर पर नारायण राणे ने कांग्रेस पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें कांग्रेस में प्रवेश मुख्यमंत्री पद दिए जाने की शर्त पर दिया गया था। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें यह पद आश्वासन देने के बाद भी नहीं दिया। इसी तरह कांग्रेस पार्टी में उन्हें जब मुख्यमंत्री पद दिए जाने की बात चल रही थी, उसी समय अशोक चव्हाण ने जुगाड़ कर मुख्यमंत्री पद प्राप्त कर लिया था।
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इसी प्रकार जब पृथ्वीराज चव्हाण राज्य में मुख्यमंत्री बन कर आए तो उन्होंने पहले कहा था कि उन्हें जो विभाग चाहिए वह मिलेगा ,लेकिन बाद पृथ्वीराज चव्हाण ने उन्हें राजस्व मंत्री से हटाकर उद्योगमंत्री बना दिया था। राणे ने कहा कि वह उसी समय इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
राणे ने कहा कि नीतेश राणे के बारे में वह बाद में निर्णय लेने वाले हैं। इसी प्रकार उनके पास शिवसेना के 26 विधायक हैं और आगामी काल में राज्य की राजनीति में बहुत ज्यादा बदलाव होने का संकेत राणे ने दिया है। इस बीच मिली जानकारी के अनुसार नारायण राणे ने कांग्रेस व शिवसेना दोनों दलों को सबक सिखाने की बात की है, जबकि भाजपा के विरुद्ध राणे ने कुछ नहीं कहा है। इसका सीधा मतलब माना जा रहा है कि नारायण राणे भाजपा में प्रवेश लेने वाले हैं, लेकिन अभी तक उन्हें भाजपा नेतृत्व की ओर से हरी झंडी नहीं मिल सकी है। (हिस)।