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महाराष्ट्र के इस छोटे से गांव के आम की डिमांड हैं ऑस्ट्रेलिया तक

मुंबई, 13 मई = प्रत्येक साल की तरह इस साल भी आम का निर्यात नासिक जिले के लासलगांव से विदेशों के लिए शुरू हुआ है। अपने स्वाद से पूरे विश्व में जाने-पहचाने जाने वाले आम के युरोप और अमेरिका में पहुंचने के बाद अब इसकी मांग ऑस्ट्रेलिया में होने लगी है। गौरतलब है कि देश में पहले आम के कंसायनमेंट की प्रक्रिया लासलगांव में शुरू करके उसे ऑस्ट्रेलिया रवाना किया गया।

इस पहले कंसायमेंट के तहत 1224 किलो केशर आम भेजा गया था। लासलगांव स्थित भाभा अणु संशोधन केंद्र में आम पर शुरू की गई प्रक्रिया के बाद इस आम ने मुंबई से ऑस्ट्रेलिया तक का सफर किया है। ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने के लिए 408 बॉक्स में केशर आम भरे गए, एक बॉक्स में तीन किलो आम थे। भारतीय आम के स्वादिष्ट होने से इसकी मांग ऑस्ट्रोलिया में अधिक है। जून आखिर तक 100 टन आम के निर्यात होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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बताया जाता है कि लासलगांव स्थित भाभा अणु संशोधन केंद्र से आम पर प्रक्रिया करते हुए पिछले कुछ सालों से अमेरिका को निर्यात किया जा रहा है। अब यही आम ऑस्ट्रेलियन मार्केट में धूम मचा रहा है। पिछले कई सालों से पणन मंडल के माध्यम से आम पर विकिरण प्रक्रिया की जा रही थी, लेकिन पिछले दो सालों से यह प्रक्रिया लासलगांव के भाभा अणु संशोधन केंद्र से अनुबंध करने से बाद इस प्रकल्प को मुंबई के एग्रो सर्च नामक कंपनी ने किराए पर लिया है। 31 अक्टूबर 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के हाथों लासलगांव स्थित कृिष उत्पादन संशोधन केंद्र में इसके लिए उद्घाटन किया गया था। यह तो था प्याज के लिए, पर यहां केवल आम पर विकिरण प्रक्रिया कर उसे निर्यात किया जा रहा है। अमेरिका में जाने वाले आम में हापुस, केशर, दशहरी, बेंगणपल्ली, लंगड़ा आदि प्रमुख हैं ।

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