निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष बने हृदयनारायण दीक्षित
Uttar Pradesh.लखनऊ, 30 मार्च= प्रदेश की 17वीं विधानसभा के अध्यक्ष के तौर पर गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हृदयनारायण दीक्षित निर्विरोध निर्वाचित कर लिए गए। उनका निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना पहले ही तय था और आज इसका विधिवत ऐलान किया गया। दीक्षित ने बुधवार को नामांकन पत्र के सात सेट जमा कराये थे। इसके साथ ही उनके समर्थन में सभी अलग-अलग दलों के नेताओं ने प्रस्तावक और समर्थक के रूप में हस्ताक्षर किए थे। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रदेश सरकार के मंत्रियों, विधायकों सहित सभी दलों के नेताओं ने उन्हें बधाई दी।
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संघर्षों का सफर
उन्नाव के पुरवा तहसील के लउवा गांव निवासी हृदयनारायण दीक्षित वर्तमान में उन्नाव की भगवंत नगर विधानसभा से जीतकर सदन में आये हैं। उन्होंने अपने गृह जनपद में विभिन्न जनमसभाओं को लेकर कई आन्दोलन किए। जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्षों का सफर तय करते हुए अब विधानसभा के सर्वोच्च आसन तक पहुंचे हैं। वेद और भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन करने वाले दीक्षित की इन विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, वहीं वह स्तम्भकार भी हैं और अब तक उनके चार हजार आलेख विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा वह पत्रकारिता जगत के कई सम्मानों से भी सम्मानित हो चुके हैं।
राजनितिक सफ़र
1972 में जिला परिषद उन्नाव के सदस्य बनने वाले दीक्षित वर्ष 1985 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे।
इसके बाद 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे।
दीक्षित सपा-बसपा गठबन्धन सरकार में 1995 में संसदीय कार्य एवं पंचायतीराज मंत्री रह चुके हैं।
वर्ष 2010 से जून 2016 तक भाजपा विधान परिषद सदस्य और दल नेता भी रहे।
भाजपा संगठन की बात करें तो वह उन्नाव के जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रवक्ता और राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
वहीं आपातकाल के दौरान वह 19 महीने जेल में भी रहे थे।
दीक्षित की छवि न सिर्फ एक बेदाग नेता के रूप में हैं, बल्कि वह सभी दलों के बीच बेहद लोकप्रिय भी हैं और उनका सम्मान भी सभी दलों के नेता करते हैं।