जरूरत से ज्यादा शिकायत कर रही है कांग्रेस : जेटली
नई दिल्ली, 14 मार्च:= कांग्रेस के गोवा में राज्यपाल द्वारा भारतीय जनता पार्टी को पहले आमंत्रित किए जाने के मुद्दे पर की जा रही राजनीति पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस जरूरत से ज्यादा शिकायत करती है।
फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी बहुत ज्यादा शिकायत करती है यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गोवा में जनादेश ‘चोरी’ करने का आरोप लगा रही है। वह सुप्रीम कोर्ट के सामने असफल रही। उसने लोकसभा में मुद्दों को उठाने का प्रयास किया। तथ्य क्या हैं?’
उन्होंने कहा कि गोवा में राज्यपाल के पास मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में 40 निर्वाचित विधायकों में से 21 विधायकों के समर्थन का दावा था। वहीं कांग्रेस ने अपने 17 विधायकों के साथ कोई दावा नहीं किया और न ही किसी नेता को चुना। ऐसे में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को कैसे आमंत्रित किया जा सकता है?
जेटली ने कहा कि सबसे बहुमत की कमी वाली बड़ी पार्टी और बहुमत वाले गठबंधन के बीच सरकार आमंत्रण के लिए किसे चुनाना है इस पर पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन ने मार्च 1988 में अपनी टिप्पणी में जवाब दिया था। उस समय उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि जब कोई पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन स्पष्ट बहुमत में नहीं हो, तो राज्य के प्रमुख को सबसे अधिक संख्या में जीत हासिल की गई पार्टियों के संयोजन या पार्टी के नेता को पहला मौका देना चाहिए। बशर्ते निर्धारित समय सीमा में सदन में बहुमत साबित कर दे।
यह भी पढ़े : शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को संसद ने दी मंजूरी .
वित्तमंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है| 2005 में भाजपा ने झारखंड में 81 में से 30 सीटें जीतीं थी। लेकिन झामुमो नेता शिबू सोरेन के अपनी पार्टी के 17 विधायकों और अन्य लोगों के समर्थन से सरकार बनाने के दावे के चलते उन्हें पहले आमंत्रित किया गया। वहीं 2002 में जम्मू और कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के 28 विधायकों ने जीत हासिल की थी, लेकिन राज्यपाल ने पीडीपी और कांग्रेस के 15 + 21 विधायकों के गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। 2013 में भाजपा को दिल्ली में 31 सीटों पर जीत मिली, लेकिन कांग्रेस के समर्थन से 28 आम विधायकों को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। 1952 (मद्रास), 1967 (राजस्थान) और 1982 (हरियाणा) में भी ऐसे ही उदाहरण देखने को मिले हैं।
यह भी पढ़े : दो दिन के मुख्यमंत्री हो सकते मनोहर पर्रिकर : कांग्रेस