खबरेबिहारराज्य

पटना पुस्तक मेला :‘मेड इन इंडिया-कला एवं शिल्प ग्राम’ में पेंटिंग बनी आकर्षण का केंद्र.

Bihar.पटना, 13 फरवरी= बिहार के मुख्य्मंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय कार्यक्रम से जुड़े विषयों पर आधारित 144 वर्ग फीट के कैनवास पर ,द इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी की ओर से बनाई गई लाइव पेंटिंग, पटना पुस्तक मेला में सोमवार को आकर्षण का मुख्य केंद्र बना रहा| द इंडिया आर्ट एण्ड इन्वेस्टमेंट कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत सिंह, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी पटना के निदेशक और जाने-माने लेखक रत्नेश्वर ने सोमवार को यहाँ संवाददाताओं को बताया कि 13 दिनों में बन कर तैयार हुई इस कृति को मुख्यमन्त्री को भेंट किया जाएगा | पेंटिंग के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सात निश्चयों के थीम पर आधारित इस पेंटिंग में पहली बार 40 पारंपारिक कलाकारों और निफ्ट के 120 कला के छात्रों ने मिलकर, दस दिनों में मेले में तयार किया |

इस कलाकृति की महत्वपूर्ण और अनूठी खासियत के बारे में बताते हुए प्रशांत सिंह ने कहा कि ग्रामीण भारत और शहरी इंडिया का इस कलाकृति में समागम है जिसमें 13 अलग-अलग राज्यों के 19 विभिन्न कलाओं के माध्यम से, बढ़ते हुए बिहार की 2025 में उभरते परिदृश्य को दर्शाया गया है | कलाकृति के केंद्र में भगवान बुद्ध को प्रेरणास्रोत के रूप में रखा गया है |

सिंह ने बताया कि राजधानी पटना के गांधी मैदान में 4 फरवरी से शुरू हुए पुस्तक मेले में द इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट कम्पनी मेड इन इंडिया-कला एवं शिल्प ग्राम लगाया गया है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 40 शिल्पी भारत की लोक कला एवं जनजातीय कला की 20 विधाओं को प्रस्तुत किया । अलग-अलग 25 स्टाल थे, जहां मुख्य आकर्षण पदमश्री बऊआ देवी थीं |

द इंडिया आर्ट एण्ड इन्वेस्टमेंट कम्पनी की योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि जल्द ही गाँवों की परम्परागत कलाओं को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय प्रेरणा लोककला प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की जायेगी, जहाँ निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा | उन्होंने आगे कहा कि उनकी कंपनी 10 हजार कलाकारों को तीन महीने तक रोज़गार देने के लिए, भारत की आज़ादी के 70 वें वर्षगाँठ पर मेड इन इंडिया 1947 जय भारती लांच करेगी | पुस्तक मेले में मेड इन इंडिया-कला एवं शिल्प ग्राम के प्रति लोगों के आकर्षण से उत्साहित सिंह ने कहा कि पारम्परिक और लोक कलाकृतियों की लगभग 8 लाख रुपये से अधिक की बिक्री हुई |

सिंह ने कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं को अलग-अलग सांस्कृतिक और कलात्मक विधाओं को देखने, महसूस करने का अवसर देने के साथ ही उन्हें इसके बारे में जागरूक कर भारत की विलुप्त हो रही कलाओं को संरक्षित करने और उनके कलाकारों के लिए एक मंच उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं | उन्होंने कहा कि कहलों के माध्यम से भी वे लोगों को लोक और पारम्परिक कला के प्रति जागरूक कर रहे हैं और इसके लिए मेले में पहली बार पारम्परिक और लोक कलाओं के कलाकारों के संघर्षों पर आधारित सांप-सीढी खेल का आयोजन किया गया | कला और हस्त शिल्प उद्योग की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने कहा कि भारत में खेती के बाद सबसे अधिक रोजगार हस्तशिल्प में है। इस रोजगार में लगे लगभग 2.3 करोड़ शिल्पी में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुड़े होने के बावजूद भारत का हस्त शिल्प उद्योग संकट में है।

उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार लगभग 71 प्रतिशत शिल्पी घर से काम करते हैं और 76 प्रतिशत का मानना है कि वे इस पेशे में इसलिए हैं कि उन्होंने घर-परिवार में यही कौशल सीखा है। उन्होंने अफ़सोस प्रकट किया कि कई कारणों से पारंपरिक कलाकारों के बच्चे इस पेशे में नहीं आना चाहते जिसकी वजह से कुछ कलाएं सिर्फ कुछ परिवारों तक ही सीमित होती जा रही हैं। सिंह ने कहा कि अधिक से अधिक युवापन को इन कलाओं को सीखने के प्रति प्रेरित करने और उनके अन्दर कलात्मक प्रवृति का विकास करने के लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं |

उन्होंने कहा कि जिस तरह से महानगरों का विकास हो रहा है उसमे बिहार से पलायन ही नहीं रोका जाना चाहिए बल्कि बिहार के बाहर से भी बिहार में लोगों का आना आवश्यक है तभी बिहार का समुचित विकास हो सकेगा 1

Related Articles

Back to top button
Close