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विश्व में भारत ने प्रजातंत्र के रुप में बनाई पहचान : सोलंकी

कुरुक्षेत्र/चंडीगढ़, 26 जनवरी =  राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने गणतंत्र दिवस पर प्रदेश वासियों को संदेश देते हुए कहा कि गणतंत्र बनने के बाद भारत ने एक सुदृढ़ और गतिशील प्रजातंत्र के रुप में समस्त विश्व में अपनी एक पहचान बनाई है। इस राष्ट्रीय पर्व से आजादी के आंदोलन की अनेकों यादे जुड़ी हुई है, क्योंकि गणतंत्र बनने से पहले गुलामी की बेडिय़ों को काटकर देश के नागरिकों को स्वतंत्रता की हवा में सांस लेने का मौका हजारों वीरों के बलिदान ने दिया। इसलिए पावन पर्व पर अमर शहीदों और स्वतंत्रता सैनानियों का नमन करना चाहिए और उनके दिखाए मार्गो पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी गुरूवार को जिला प्रशासन द्वारा द्रोणाचार्य स्टेडियम में आयोजित राज्यस्तरीय भव्य गणतंत्र दिवस समारोह में बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी, विधायक सुभाष सुधा, विधायक डा. पवन सैनी ने लघु सचिवालय के परिसर में शहीदी स्मारक पर पुष्पचक्र भेंटकर शहीदों को नमन किया और श्रृद्धाजंलि अर्पित की। इसके उपरांत राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने मुख्य कार्यक्रम स्थल द्रोणाचार्य स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया और परेड का निरीक्षण कर सलामी ली। इसी दौरान प्रशासन की तरफ से हवा में रंग-बिरंगे गुब्बारे छोड़े गए।

राज्यपाल ने प्रदेश वासियों को 68वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस के इस पावन पर्व पर भारत ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नागरिक होने का गौरव प्राप्त किया। 67 वर्ष पहले 26 जनवरी 1950 को भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा और विशेष सविंधान अपनाया। इस सङ्क्षवधान में बराबरी, न्याय और उच्च आदर्शो वाला गणराज्य कायम किया जाने के साथ-साथ सभी को विचारों की आजादी और उन्नती के समान अवसर दिए गए। इसी दिन भारतीय लोगों को स्वशासन की सर्वोच्च शक्ति भी मिली।

उन्होंने कहा कि गणराज्यों के रुप में स्वशासन देश की प्राचीन परम्परा है। स्वशासन को ही पाने के लिए देश के लोगों ने लम्बे समय तक आजादी की लड़ाई लड़ी। आजादी की लड़ाई के दौरान अनेकों शहीदों और स्वतंत्रता सैनानियों ने एक स्वतंत्र, शक्तिशाली व महान भारत के सपने संजोंए थे। ऐसे आदर्श राज्य की कल्पना की थी, जिसमें जाति, धर्म, रंग अथवा वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव न हो।

इसके अनुकूल शासन प्रणाली बनाना बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसे बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जैसे संविधान निर्माताओं ने बड़ी सूझ-बूझ से तैयार किया और लोकजन को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाईजेशन के इस युग की हर चुनौती का सामना करने में भारतवर्ष सक्षम है और भारत को 21वीं सदी में फिर से विश्वगुरु का दर्जा मिलेगा। इस लक्ष्य के लिए हरियाणा लगातार प्रगतिशील, सामाजिक, आर्थिक नीतियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से देश की अर्थ व्यवस्था और प्रजातांत्रिक सिंद्धातों को भी सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान सरकार ने 50 स्वर्णीम लक्ष्य निर्धारित किए है जो राज्य के विकास का रोड़ मैप साबित होंगे।

राज्यपाल ने कहा कि आधी सदी की इस विकास यात्रा में हरियाणा राज्य प्रति व्यक्ति आय, औद्योगिक उत्पादन, विदेशी निवेश, शिक्षा, खेल, कृषि, परिवहन, ऑटो मोबाइल, आईटी, बायो-टेक्नॉलोजी आदि क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। राज्य में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। यह हर साल 7 प्रतिशत अधिक की दर से बढ़ रही है। इतना ही नहीं कृषि प्रधान राज्य ने औद्योगिकीकरण, हरित और श्वेत क्रांति के बाद सूचना तकनीक क्रांति के प्रयोग में भी प्रदेश सफल रहा है। 100 गांवों में वाई-फाई सुविधा दी जा चुकी है। यह देश में मोबाइल की पहुंच वाले 10 बड़े राज्यों में से एक है।

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