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केरल : संघ कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन .

नई दिल्ली, 24 जनवरी=  केरल में कथित तौर पर माकपा समर्थित अराजक तत्वों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के खिलाफ जनाधिकार समिति ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस अवसर पर संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि हम राज्य में जारी माकपा समर्थित हिंसा का विरोध करते हैं और अपील करते हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।

जंतर-मंतर पर आयोजित धरने को संकल्प, आक्रोश और संघर्ष की सभा बताते हुए उन्होंने कहा कि केरल में माकपा सरकार सत्ता में आने के बाद इसी तरह की हिंसा करवाती है। उन्होंने कहा कि इस विचारधारा के समर्थक बुद्धिजीवी दिल्ली में कुछ बात करते हैं और अपने शासन में कुछ और व्यवहार करते हैं। केरल के विश्वविद्यालयों में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को मारा जाता है और जेएनयू में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता की बात करने वालों के काम का आधार ही हिंसा है।

फिल्म अभिनेता मुकेश खन्ना ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री का नाम विजयन की जगह पराजयन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी धर्म हिन्दू धर्म से निकले हैं। हमे अपने देश में अपने ढंग से जीने का अधिकार है। संघ के प्रान्त संघचालक कुलभूषण आहूजा ने कहा कि हिंसा से हरा सकते हैं लेकिन जीत नहीं सकते ।

विहिप के महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि अब देश का समाज इस हिंसा के खिलाफ खड़ा हो गया है और माकपा का नाम भी कोई लेने वाला नहीं रहेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर और जबरन विरोधियों को निशाना बना रहे हैं। केरल में मारे जाने वाले ज्यादातर दलित हैं| आज उनके अधिकारों की बात क्यों नहीं हो रही। एबीवीपी के सहसंगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि केरल में जिस विचार की सरकार है उस विचार ने दुनिया में करोड़ों की हत्या की है। 200 से ज्यादा संघ से जुड़े कार्यकर्ता केरल में मारे गए हैं और वहां की सरकार कुछ नहीं कर रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या एक के लिए है। उन्होंने कहा कि हमें मजबूर न किया जाए कि हम कुछ सख्त कदम उठायें।

भाजपा नेत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि केरल में मारे गए लोगों के बारे में जब सोचती हैं तो उन्हें दुःख होता है। उन्होंने कहा कि बाहर से साम्यवादी लिबरल दिखते हैं लेकिन अंदर से विरोध को स्वीकार नहीं कर पाते। उन्होंने पूछा कि केरल सरकार यदि निष्पक्ष है तो हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजा क्यों नहीं दे रही। मानवाधिकार आयोग और सर्वोच्च न्यायालय से उन्होंने इस पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया। जंतर-मंतर में धरना देने के बाद एक शिष्टमंडल ने केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर और केरल भवन के रेजिडेंट कमिश्नर को अपना ज्ञापन सौंपा।

उल्लेखनीय है कि केरल में जारी राजनीतिक हिंसा को ‘संगठित बर्बरता’ करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ने आरोप लगाया था कि केरल की माकपा सरकार इन हमलों पर ‘नीतिगत चुप्पी’ साधे हुई है। 28 दिसम्बर को कोझिकोड के भाजपा नेता कन्नन के घर में माकपा कार्यकर्ताओं ने आग लगा दी थी। हादसे में कन्नन की पत्नी विमला की मौत हो गई थी।

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