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92 वर्षीय नारायण दास ने हजारों बच्चों को दिलाई शिक्षा , रामानंदी पंथ के संत हैं स्वामी जी

जयपुर (ईएमएस)। 92 वर्षीय स्वामी नारायण दास कभी स्कूल तो नहीं गए, लेकिन वह पिछले कई वर्षों से हजारों बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। रामानंदी पंथ के केंद्र पूरे देश में फैले हुए हैं। लेकिन दास ने जयपुर स्थित शाहपुरा के त्रिवेणी में बने आश्रम को अपना निवास बनाया है। उन्हें अध्यात्मवाद और सद्भाव के प्रचार के लिए वर्ष 2018 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है।

स्वामी नारायण दास ने पांच कॉलेजों की स्थापना की और राजस्थान के पिछड़े क्षेत्रों में स्थित 25 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को सहायता प्रदान की। इनमें से दो कॉलेज लड़कियों के लिए हैं। समर्थक बताते हैं कि स्वामी नारायण दास की सबसे बड़ी उपलब्धि वर्ष 2002-2005 में संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए 50 करोड़ रुपए की राशि प्रदान करना है। हालांकि, इसका नाम बाद में बदलकर रामानंदी पंथ के संस्थापक के नाम पर जगतगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय रख दिया गया।

गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने वर्ष 1998 में संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने की घोषणा की थी, लेकिन फंड की कमी की वजह से यह कार्य वर्ष 2002 तक नहीं पूरा किया जा सका। दास के प्रमुख शिष्य सीताराम शर्मा बताते हैं, दास को पता चला कि संस्कृत विश्वविद्यालय के निर्माण में आर्थिक समस्या सामने आ रही है। उन्होंने राज्य सरकार से बातचीत की और धनराशि दान देने का विचार व्यक्त किया। बाद में सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि स्वामी जी सभी के सामने यह दान करें, ताकि लोग शिक्षा के समर्थन के लिए प्रोत्साहित हो सकें। दास ने 80 के दशक के शुरुआती दौर में अध्यात्मिक जानकारों की भूमिका को समझा। उन्होंने यह महसूस किया कि वह लोगों की जिंदगी में पूर्ण रूप से बदलाव ला सकते हैं और इसका तरीका था, अध्यात्म के रूप से, शिक्षा के जरिए और स्वास्थ्य के माध्यम से। आश्रम में एक वेद स्कूल भी है, जिसे उत्तरी क्षेत्र के सबसे अत्याधुनिक वेद स्कूल के रूप में जाना जाता है। यहां पर छात्रों को वेदों से जुड़ी अध्यात्मिक और वैज्ञानिक बातें सिखाई जाती हैं।

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