9 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर के सपूतों ने हिला दी थी अंग्रेजी हकुमत की नींव
शाहजहांपुर, 09 अगस्त (हि.स.)। भारत को आजादी दिलाने के लिए जहां देश के कई सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। वहीं, 09 अगस्त 1925 (काकाोरी कांड) को जनपद के युवा क्रान्तिकारियों ने इतिहास के पन्नों में शाहजहांपुर को स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा दिया था। देश में अंग्रेजी हकुमत के बढ़ते अत्याचारों को जवाब देने और आजादी की लड़ाई में आड़े आ रही धन की कमी को दूर कर ने के लिए युवा क्रान्तिकारियों ने योजना के तहत काकोरी में आज के दिन ही सरकारी खजाने को लूटने की घटना को अंजाम दिया था। इस घटना ने जहां अंग्रेजी हकुमत की नींव को हिला कर रख दिया था तो वहीं, युवाओं को आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए एक सन्देश भी दिया था। अंग्रेजी हकुमत ने घटना के अंजाम देने वाले जनपद के क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रौशन सिंह व अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा दी थी। इतिहास के पन्नों में आज भी यह घटना काकोरी कांड के नाम से प्रसिद्ध है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ छिड़े युद्ध में बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया जा रहा था । देश में जगह-जगह से नौजवान आजादी की लड़ाई को धार देने के लिए तैयार थे। शाहजहांपुर के क्रन्तिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के कन्धों पर भी उत्तर प्रदेश की बागडोर थी। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को आगे गति देने के लिये धन की कमी आ रही थी, जिस वजह से आन्दोलन की रफ़्तार कम हो रही थी। धन की व्यवस्था करने के लिए पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा शाहजहांपुर में एक बैठक की गई। इस बैठक में राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी हकुमत का खजाना लूटने की योजना बनायी। योजनानुसार 09 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के पास काकोरी स्टेशन पर सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, चन्द्रशेखर आज़ाद व अन्य क्रान्तिकारियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया गया। इस घटना ने देश से लेकर विदेश में बेठे अंग्रेजी हुकमरानों की चूलों को हिला कर रख दिया।
अंग्रेजी हुकमरानों के जैसे ही पता चला की काकोरी ट्रेन डकैती क्रान्तिकारियों का एक सुनियोजित षड्यन्त्र है, उन्होंने काकोरी काण्ड के सम्बन्ध में जानकारी देने व षड्यन्त्र में शामिल क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार करवाने के लिये इनाम की घोषणा कर दी। अंग्रेज अफसरों ने अपनी चालाकी से काकोरी कांड को अंजाम देने वाले महान क्रान्तिकारियों के ठिकानों का पता लगा लिया और 26 सितम्बर 1925 की रात में राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रौशन सिंह सहित कई क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं कुछ दिनों बाद अंग्रेजों ने अशफाक उल्ला खान को भी गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजी हुकमरानों ने बड़ी चालाकी से काकोरी काण्ड के सूत्रधार राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा करवा दी और 19 दिसम्बर 1927 को महान क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद, राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर व ठाकुर रौशन सिंह को इलाहाबाद में फांसी दे दी गयी।