पटना, न्यूज़ डेस्क
सालों से अनजाने में पति के हम शक्ल के साथ एक महिला रह रही थी। अब जब असली पति सामने आया तो महिला के होश उड़ गए। मिर्जापुर जनपद के चुनार कोतवाली मगरहा गांव के पतलुकिया बस्ती में काफी कौतूहल देखा जा रहा है। हो भी क्यों ना, गांव में किसी फिल्मी कहानी की तरह घूरन की पहचान को प्राप्त करने की बात चल रही थी। जिसे जहां घूरन के गांव लौटने की खबर मिली, वह वहीं से माधव के घर की तरफ चल पड़ा।
बताया जा रहा है 25 वर्ष पूर्व घर से भाग चुका माधव का बेटा घूरन घर लौटा तो पाया कि उसकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति बतौर घूरन 6 वर्ष से रह रहा है। अपने मामा के साथ असली घूरन को उसके मामा घर ले कर पहुंचे, तो कौतूहल से भीड़ इकट्ठी हो गई। लोग काम पर गए घूरन की तलाश करने लगे।
पहले से रह रहे तथाकथित घूरन को लाया गया, तो पूरे प्रकरण के बाद घूरन की पत्नी नेमावती व बेटा राजेश ने दोनों में से किसी के भी साथ रहने से साफ मना कर दिया। घर पहुंचे घूरन ने लोगों को बताया कि घर छोड़ने के बाद वह फैजाबाद चला गया था 92 में दंगा हुआ तो इलाहाबाद चला आया, टैक्सी ड्राइवर से विवाद होने पर हथौड़े से एक व्यक्ति के सर पर वार कर दिया। उसकी हत्या के मामले में 20 वर्ष की सजा हो गई।
वह नैनी जेल चला गया जहां से कुछ दिन पहले ही छूटा तो ई-रिक्शॉ खरीद वाराणसी तक आया। उसने कहा कि घर पहुंचने से पहले वाराणसी के लोहता में रहने वाले मामा से मिलने पहुंच गया। मामा ने पूरी कहानी बताई। मामा घर लेकर आये अभी पत्नी से नही मिला है असली घुरन गांव वालो के साथ रह रहा है।
परिजनों ने उसकी बहुत तलाश की, लेकिन पता नहीं चल सका। 6 वर्ष पूर्व किसी ने घूरन के वाराणसी में योगी वेश में होने की जानकारी दी। जानकारी मिलने पर 20 वर्ष बाद बेटे के दीदार की आस से माधव की आंखें चमक उठीं। पिता वाराणसी के दियांव पहुंचे और योगी वेशधारी घूरन के हमशक्ल को पूरी मण्डली के साथ घर लाए थे नकली घुरन का नाम सरोज है। उसका कहना है की बाबा के वेश में रहते था। उसे जबरन ले आया। हम पति के तरह रहते थे बेटा भी हमे पिता कहता था उसकी शादी हमने कराई।