नई दिल्ली, 12 जनवरी = छत्तीसगढ़ के दो बच्चों समेत पांच लोगों की हत्या के दोषी सोनू सरदार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि सोनू सरदार की अपील पर दो माह में फैसला करें ।
सुप्रीम कोर्ट ने सोनू सरदार की मौत की सजा बरकरार रखा था । कोर्ट ने हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ रेयर कहा था और दिल्ली हाईकोर्ट के मौत की सजा पर स्टे लगाने के फैसले पर भी सवाल खड़ा किया ।
छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर में 26 नवंबर 2004 को कबाड़ व्यापारी शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो , बेटे याकूब और पांच महीने की बेटी की हत्या कर दी गई थी। सोनू सरदार समेत 5 लोगों पर हत्या का आरोप लगा। 2008 में ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई।
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2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 4 लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद सोनू सरदार ने राष्ट्रपति के सामने याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी। भारत सरकार ने 8 मई को सोनू की मौत के फरमान पर मुहर लगाई थी। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया था।
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इस हत्याकांड को लेकर 19 जून, 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की ट्रायल कोर्ट ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था। रायपुर जेल में फांसी की तैयारी भी शुरू हो गई थी। लेकिन 2 मार्च, 2015 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनू सरदार की फांसी पर रोक लगा दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि सोनू सरदार के फांसी पर रोक से संबंधित याचिका को खारिज करने का फैसला राष्ट्रपति ने किया है, इसलिए दिल्ली हाईकोर्ट मामले की सुनवाई कर सकती है। वहीं छत्तीसगढ़ की ओर से पेश वकील ने कहा था कि हत्याकांड छत्तीसगढ़ में हुआ है इसलिए यह दिल्ली हाईकोर्ट से अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।