31 के पहले निपटा लें जीएसटी से जुड़ी अहम जिम्मेदारियां
नई दिल्ली (ईएमएस)। किसी भी वित्त वर्ष के आखिरी दिन कारोबारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। सरकार ने आय कर रिटर्न से जुड़ी कुछ रियायतें 30 जून तक बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों ने व्यापारियों को सुझाव दिया है कि उन्हें अपने कुछ काम 31 मार्च से पहले जरूर पूरे कर लेने चाहिए। करदाताओं को अपने कैश लेजर, क्रेडिट लेजर और लाइबिलिटी लेजर का मिलान करते हुए 31 मार्च से पहले सभी प्रविष्टियां कर लेनी चाहिए। जीएसटी नियमों के तहत टैक्स इनवॉइस जारी होने के बाद अगर रिसीवर 180 दिनों के भीतर पेमेंट नहीं करता, तो उस इनवॉइस पर लिया गया क्रेडिट रिवर्स करना होगा। ऐसे में एक अक्टूबर 2017 से पहले जारी सभी बिलों पर 31 मार्च तक भुगतान कर देना चाहिए। जीएसटी एक्सपर्ट राकेश गर्ग ने कहा, ‘मान लीजिए 15 सितंबर 2017 को आपके सीए को 10,000 रुपये की फीस देय थी, जिस पर उस महीने के रिटर्न में आपने 1800 रुपये का क्रेडिट ले लिया तो 31 मार्च तक फीस जमा करा दीजिए, वरना मार्च के टैक्स में 1800 रुपए अतिरिक्त देने होंगे।’
उन्होंने बताया कि डेबिट नोट, क्रेडिट नोट, रेट डिफरेंस, डिस्काउंट वगैरह के साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 का टर्नओवर भी चेक कर लेना चाहिए। नए वित्त वर्ष का पहला इनवॉइस बनाने से पहले ध्यान रखना होगा कि टर्नओवर 1.5 से 5 करोड़ रुपये के बीच है, तो दो अंकों में एचएसएन कोड लिखेंगे, 5 करोड़ रुपये से ऊपर के मामले में 4 डिजिट में और 1.5 करोड़ रुपये से कम होने पर लिखना जरूरी नहीं है। अगर कोई कंपोजिशन स्कीम में शामिल होना चाहता है तो उसे 31 मार्च तक फॉर्म सीएमपी-02 भर देना चाहिए। कंपोजिशन के तहत रजिस्ट्रेशन कैंसल कराने के लिए 7 अप्रैल तक का समय होगा। ट्रेडर्स को अगले वित्त वर्ष में तिमाही या मंथली रिटर्न भरना है, यह भी 31 मार्च तक उनके टर्नओवर पर निर्भर करेगा। सीए राकेश गुप्ता ने बताया कि जिनके पास 30 जून तक के क्लोजिंग स्टॉक का एक्साइज पेड बिल नहीं है, उन्हें 40-60 प्रतिशत स्कीम के तहत इनपुट क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए 31 मार्च से पहले टीआरएएन-2 भरना जरूरी है। साथ ही, आगे के लिए 31 मार्च तक क्लोजिंग स्टॉक का वैल्यूएशन अच्छी तरह से कर लेना चाहिए।
आईटीसी क्लेम किया है, तो कैपिटल गुड्स पर डेप्रीसिएशन की गणना भी कर लेनी चाहिए। इनपुट सर्विस डिस्ट्रिब्यूटर्स को 31 मार्च से पहले जुलाई से फरवरी तक का रिटर्न जीएसटीआर-6 के रूप में भर देना होगा। 31 मार्च से पहले हर महीने का ग्रॉस प्रॉफिट चेक कर लेना चाहिए और यह देखना चाहिए कि कहीं से एंटी प्रॉफिटियरिंग क्लॉज का उल्लंघन तो नहीं हो रहा। ट्रेडर्स को यह ध्यान रखना होगा कि जीएसटी में अतिरिक्त इनपुट क्रेडिट के रिफंड की व्यवस्था नहीं है, लिहाजा इसे कैरी फॉरवर्ड कराना होगा। पोर्टल पर जीएसटीेआर-2ए के तहत परचेज चेक करते रहना चाहिए।