खबरेदेशनई दिल्ली

25 जाबाज़ बच्चों को वीरता पुरस्कार, चार को मरणोंपरांत

नई दिल्ली, 17 जनवरी=  इस साल के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों के लिए देशभर से 25 बच्चों को चुना गया है जिसमें से 12 लड़कियां और 13 लड़के शामिल हैं। इन सबको इंडियन काउन्सिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर की ओर से चुना गया है। इनमें से चार को यह पुरस्कार मरणोंपरांत दिया जाएगा।

बहादुर बच्चों में केरल के सर्वाधिक चार और दिल्ली के तीन बच्चे शामिल हैं जिनमें दो सगे भाई -बहन हैं। इंडियन काउंसिल फार चाइल्ड वेल्फेयर की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में इन जाबांज बच्चों का परिचय कराते हुए इनके साहसिक कारनामों का बखान किया ।

यह पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं| भारत पुरस्‍कार, (1987 से), गीता चोपड़ा पुरस्‍कार, (1978 से), संजय चोपड़ा पुरस्‍कार, (1978 से), बापू गैधानी पुरस्‍कार, (1988 से), सामान्य राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार, (1957 से)।

इस वर्ष के प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार के लिए अरुणाचल प्रदेश के 8 वर्षीय तारह पेजु को चुना गया है। उसने अपने दो दोस्तों को डूबने से बचाने के लिए अपने जीवन बलिदान दे दिया।

गीता चोपड़ा पुरस्कार 18 साल की तेजस्विता प्रधान और 17 साल की शिवानी गोंद को दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की तेजस्विता और शिवानी ने सोशल मीडिया के जरिये अंतरराष्ट्रीय देह व्यापार गिरोह का भंडाफोड़ कर इस गिरोह के सरगना समेत तीन अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था।

वहीं संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के 15 वर्षीय सुमित ममगई को दिया गया है। उसने बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए तेंदुए से लड़कर अपने चचेरे भाई को बचाया था।

केएम रोलहआहपूरी (13 वर्ष) मिजोरम (मरणोपरांत), छत्तीसगढ़ के मास्टर तुषार वर्मा (15 वर्ष) और मिजोरम के केएम लालहरितपुई (14 वर्ष) (मरणोपरांत) बापू गैधानी पुरस्कार प्रदान किया गया है। रोलहआहपूरी ने जीवन का बलिदान देते हुए दो लड़कियों को डूबने से बचाया। तुषार वर्मा ने अपने खुद के जीवन को खतरे में डाल कर अपने पड़ोसी के शेड में आग बुझाई और कई मवेशियों को बचाया। लालहरितपुई ने एक कार दुर्घटना में चचेरे भाई को बचाने के प्रयास में अपने जीवन का बलिदान दे दिया।

इसके अलावा समान्य वीरता पुरस्कार के लिए प्रफुल्ल शर्मा (हिमाचल प्रदेश), सोनू माली (राजस्थान), अकशिता शर्मा, अक्षित शर्मा, नमन (सभी दिल्ली से), अंशिका पांडे (उत्तर प्रदेश), निशा दिलीप पाटिल (महाराष्ट्र), सिया वामांसा खोडे (कर्नाटक), मोइरंगाथम सदानंद सिंह (मणिपुर), बिनिल मंजाले, अदिथ्यान पिल्लई, अखिल कुमार शिबू और बादारुन्नीसा (केरल से), तंकेशवर पेगु (असम), नीलम ध्रुव (छत्तीसगढ़), थांघिलमंग लुनकिम (नागालैंड), मोहन शेथी (ओडिशा) और देर पायल देवी (जम्मू-कश्मीर) को चुना गया है।

दिल्ली से दो बहन-भाई अक्षिता शर्मा और अक्षत शर्मा को घर में आए चोरों को पकड़ने पर बहादुरी दिखाने के लिए। उत्तर प्रदेश से 14 साल 8 महीने की अंशिका पाण्डेय को साइकिल से स्कूल जाने के दौरान 2 अजनबी लोगों द्वारा गाड़ी में खींचने और तेजाब फेंकने की कोशिश को नाकाम करने के लिए। दिल्ली के नमन को 12 फुट गहरी नहर में कूदकर एक बच्चे की जान बचाने के लिए। उत्तराखंड के सुमित ममगई को जंगली जानवर गुलदार से जूझने के लिए। नीलम को अपनी सहेली टिकेश्वरी ध्रुव को तालाब में कूद कर बचाने के लिए। हरदी गांव में भूलूराम वर्मा के घर के पीछे कोठार में रात को मच्छर भगाने के लिए जलाए गए कंडों से आग लग गई। 15 साल के तुषार वर्मा को घर बगल में ही लगी आग को बुझाने के लिए यह पुरस्कार दिए गये हैं।

सभी बहादुर बच्चों को 23 जनवरी को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी वीरता पुरस्कार देंगे। 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में शामिल होंगे और अपने बहादुर कारनामों से देश का नाम रोशन करेंगे। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरू किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।

उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर,1957 में 14 साल की उम्र के बालक हरीश मेहरा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था। उस दिन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि रामलीला मैदान में चल रही रामलीला देख रहे थे कि अचानक उस शामियाने के ऊपर आग की लपटें फैलने लगीं, जहां ये हस्तिय़ां बैठी थीं। हरीश वहां पर वॉलंटियर की ड्यूटी निभा रहे थे। वे फौरन 20 फीट ऊंचे खंभे के सहारे वहां चढ़े तथा अपने स्काउट के चाकू से उस बिजली की तार को काट डाला, जिधर से आग फैल रही थी। यह कार्य करने में हरीश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे।

एक बालक के इस साहस से नेहरू अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर ऐसे बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। सबसे पहला पुरस्कार हरीश चंद्र मेहरा को प्रदान किया गया।

Related Articles

Back to top button
Close