20,000 रु के लिए अपनी ही बीवी से किया दोबारा निकाह
नोएडा (ईएमएस)। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में शादी रचाने वाले जोड़ों ने धर्म की आस्था एवं विश्वास से भी खिलवाड़ किया है। सरकारी रकम हड़पने के लिए शादीशुदा होकर भी दूसरी बार शादी रचा ली। इसमें मुसलिम जोड़॰े भी शामिल हैं। मुसलिम धर्म किसी व्यक्ति को पत्नी के साथ दूसरी बार शादी की इजाजत नहीं देता है। दूसरी बार शादी तभी हो सकती है, जब पति ने उसे पहले तलाक दिया हो। ग्रेटर नोएडा के वाइएमसीए क्लब में २४ फरवरी को हुई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह से जुड़े विवाद का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। सामूहिक विवाह में २१ मुसलिम जोड़ों ने भी निकाह किया था। इसमें कई जोड़े ऐसे हैं, जो पहले से ही शादीशुदा है।
इसके बावजूद उन्होंने योजना के तहत विवाह रखने से मिलने वाली बीस हजार रुपये धनराशि, कपड़े, गहने आदि के लालच में अधिकारियों व ग्राम प्रधानों के बहकावे में आकर दोबारा निकाह किया। लालच में उन्होंने धर्म की मर्यादा, उसके नियम कायदों की भी पूरी तरह से अनदेखी कर दी। हालांकि शादीशुदा जोड़ों के दोबारा शादी रचाने का मामला सामने आने पर उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। प्रशासन ने जांच बैठा दी है। शादी में मिली रकम व उपहार से जोड़ों को हाथ धोना पड़ेगा। बिलासपुर के मुफ्ती आलमगीर मुजाहरी देहलवी का कहना है कि मुसलिम धर्म गुरुओं के अनुसार उनका धर्म इसकी इजाजत नहीं देता है। पति से दोबारा शादी करना किसी तरह से जायज नहीं है। पति अगर पत्नी को तलाक देता है तो धर्म में तयशुदा प्रक्रिया को पूरा करने के बाद उनका दोबारा निकाह हो सकता है। हुकूमत के चंद रुपये के लालच में पत्नी से दोबारा शादी की इस्लाम में इजाजत नहीं है। दूसरे का हक मारने की धर्म अनुमति नहीं देता है।
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ऐसा करने वाले जोड़ों ने गुनाह किया है। धर्म का मजाक उड़ाया है। वहीं, सीडीओ एके सिंह ने कहा कि बिलासपुर के मुफ्ती आलमगीर मुजाहरी देहलवीचीती व नंगला गांव में जांच पूरी कर ली गई है। नौ जोड़े अपात्र व एक जोड़ा पात्र पाया गया। अपात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बंबावड़ गांव में भी जांच पूरी हो गई। रिपोर्ट देखने के बाद कार्रवाई की जाएगी।