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17 पिछड़ी जातियों को SC का प्रमाण पत्र मिलने पर उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

इलाहाबाद, 24 जनवरी= इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सत्रह पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति घोषित करने की राज्य सरकार की 22 दिसम्बर 16 की अधिसूचना की वैधता की चुनौती याचिका पर प्रमुख सचिव को इन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने डा.बी.आर.अम्बेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण की जनहित याचिका पर दिया है। प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इन जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र नहीं जारी करने जा रही है। इस बयान के बाद कोर्ट ने यह निर्देश दिया है।

इसी मामले को लेकर कुछ अन्य याचिकाएं दाखिल की गयी है। याची का कहना है कि अनुच्छेद 341 के तहत जाति की घोषणा का अधिकार केन्द्र सरकार को है। राज्य सरकार को नहीं राज्य सरकार ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति घोषित कर अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर संविधान के खिलाफ अधिसूचना जारी की है।

ये जातीय हैं ……..

राज्य सरकार ने 22 दिसम्बर 16 की अधिसूचना से कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिन्द, भर प्रजापति, राजभर, बाथम, गोंड, तुर्रा, माझी, मल्लाह, कुम्हार, धीमर, धीवर व मछुआ पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सुविधाएं देने की घोषणा की है। याचिका की सुनवाई 9 फरवरी को होगी। याचिका पर अधिवक्ता रामराज प्रजापति, रमेश प्रजापति ने बहस की।

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