नई दिल्ली 29 दिसम्बर: = प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल से पहले 31 दिसंबर को एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित कर सकते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री 31 दिसंबर की शाम 7:30 बजे अपने इस संबोधन में काले धन के खिलाफ लड़ाई और नोटबंदी से जुड़ी कुछ नई घोषणाएं कर सकते हैं.
पिछली बार 8 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने काले धन पर प्रहार के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने की घोषणा की थी. लोगों को अपने पुराने नोट बैंकों में जमा कराने के लिए सरकार ने 31 दिसंबर तक का वक्त दिया था, जो कि अब खत्म होने जा रहा है. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नोटबंदी के संबंध में कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री अपने संबोधन में बताएंगे कि नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के कितने पुराने नोट जमा हुए. इसके अलावा 8 नवंबर के बाद पकड़े गए कालेधन और उन लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई की भी जानकारी देंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नोटबंदी के बाद पकड़े गए कालेधन को लेकर अपने ऐक्शन प्लान की भी जानकारी दे सकते हैं.
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों, बेरोजगार युवकों, बीपीएल परिवारों और वृद्धजनों के पेंशन पर गंभीर से विचार कर रही है और प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इस पर भी कोई घोषणा कर सकते हैं. इसके साथ ही प्रधानमंत्री डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी जारी रखने जैसी कुछ अहम घोषणा कर सकते हैं.
अब बेनामी संपत्ति पर हो सकता हैं प्रहार…….
वहीं नोटबंदी के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री कई बार कह चुके हैं कि कालेधन के बाद अब बेनामी संपत्ति पर प्रहार किया जाएगा. रेडियो पर प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री ने इस बाबत साफ इशारा किया था. इस वजह से 31 दिसंबर के इस संबोधन में बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी कुछ बड़े फैसलों उम्मीद है.
‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम जारी रखने का संकल्प जताते हुए कहा था, ‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये पूर्ण विराम नहीं है. ये तो अभी शुरुआत है. ये जंग जीतना है और थकने का तो सवाल ही कहां उठता है, रुकने का तो सवाल ही नहीं उठता है.’
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए तब कहा था, ‘आपको मालूम होगा हमारे देश में बेनामी संपत्ति का एक कानून है. 1988 में बने उस कानून को कभी लागू ही नहीं किया गया. वह ऐसे ही ठंडे बस्ते में पड़ा रहा. हमने उसको निकाला है और बड़ा धारदार बेनामी संपत्ति का कानून बनाया है. आने वाले दिनों में वह कानून भी अपना काम करेगा. देशहित के लिए, जनहित के लिए, जो भी करना पड़े, ये हमारी प्राथमिकता है.’