नई दिल्ली (ईएमएस)। साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले मोदी सरकार हायर एजुकेशन के मामले में एक नया कदम उठाने जा रही है। वह सद में देश में हायर एजुकेशन के लिए एक नई संस्था के गठन के लिए बिल लाने जा रही है। सरकार ने इस बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बिल के ड्राफ्ट हायर एजुकेशन इवेल्युएशन एंड रेग्युलेशन अथॉरिटी, 2018 या हायर एजुकेशन रेग्युलेटरी काउंसिल के मुताबिक, एक बार नया रेग्युलेटर बन जाने के बाद अभी काम कर रही नियामक संस्थाएं जैसे यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन और नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन को खत्म कर दिया जाएगा। इस ड्राफ्ट बिल में बताया गया है कि नया रेग्युलेटर केवल एकेडमिक स्टैंडर्ड की व्याख्या नहीं करेगा, बल्कि यह इंस्टिट्यूट का मार्गदर्शन करेगा। बिल में यह भी प्रावधान होगा कि किसी इंस्टिट्यूट द्वारा नियमों का पालन नहीं करने पर उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
सरकार में इस बिल पर चर्चा पूरी हो गई है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जांचा जा रहा है। यह बिल सितंबर 2018 में संसद में पेश किया जाएगा। बिल के मुताबिक, नई नियामक संस्था एजुकेशन इंस्टिट्यू्ट्स के लिए क्वॉलिटी स्टैंडर्ड का निर्धारण करेगी, जिसमें इंस्टिट्यूट की परफॉर्मेंस का हर साल इवेल्युएशन होगा। सूत्रों के मुताबिक, ऐकडेमिक स्टैंडर्ड्स के लिए यूजीसी द्वारा बनाई गई कई कमेटियों की अनुशंसाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा। संस्था ऐसे इंस्टिट्यूट्स का मार्गदर्शन भी करेगी, जो निर्धारित स्टैंडर्ड्स को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बिल के मुताबिक, इसमें 10 सदस्य होंगे और किसी प्रसिद्ध शिक्षाविद को चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया जाएगा, जिनकी मदद के लिए दो वाइस चेयरमैन होंगे।
इसमें तीन मेंबर ऐसे होंगे, जिन्होंने कम से कम पांच साल तक आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी, आईआईएसईआर जैसी संस्थाओं में बतौर डायरेक्टर काम किया हो। इसके अलावा अन्य तीन सदस्य ऐसे होंगे, जिन्होंने स्टेट या सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कम से कम पांच सालों तक वाइस चांसलर के तौर पर काम किया हो।