सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अयोध्या से जुड़े दस्तावेज जल्द जमा करवाएं, सुनवाई 8 फरवरी तक टली
नई दिल्ली, 05 दिसंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के मुद्दे पर सुनवाई 8 फरवरी तक टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि वह इस मामले से जुड़े बाकी दस्तावेज जल्द से जल्द जमा करवाएं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने वह सारे तथ्य नहीं लाए गए हैं जो इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने रखे गए थे| लिहाजा इस मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए उन तथ्यों का भी सुप्रीम कोर्ट के सामने आना जरूरी है। कपिल सिब्बल ने कहा इन दस्तावेजों में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है जो इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के सामने रखी गई थी। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में करीब 19500 पन्नों के दस्तावेज तैयार हुए थे| लिहाजा उन सभी दस्तावेजों का सामने आना जरूरी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के वकील तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सारे अहम दस्तावेज लाये जा चुके हैं| लिहाजा यह कहना कि दस्तावेज अधूरे हैं सही नहीं है।
एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि वह इस मामले के निपटारे के लिए एक तय अवधि भी तय करें। उत्तर प्रदेश सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी तो फिर ऐसे में यह सवाल ही कहां से उठता है कि इसके फैसले के लिए अवधि तय की जाए। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने तुषार मेहता की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपीलों पर सुनवाई हो रही है। ये सुनवाई 3 महीने में पूरी हो सकती है। निचली अदालत में सुनवाई में समय लगता है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भले ही बंद कमरे में इस मामले की सुनवाई हो रही हो लेकिन इसका असर बाहर भी होगा। लिहाजा इस मामले की सुनवाई 15 जुलाई 2019 के बाद होनी चाहिए। उसके बाद कई वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि इस मामले की सुनवाई कम से कम 7 जजों की बेंच को करनी चाहिए ।
हरीश साल्वे ने दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा 3 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर सकती है। हरीश साल्वे की दलील का विरोध करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि क्योंकि मामला धर्मनिरपेक्षता से जुड़ा हुआ है| लिहाजा इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच को करनी चाहिए। हरीश साल्वे ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत कोर्ट को सुनवाई की प्रक्रिया तय करने का अधिकार है।
सिब्बल ने सुब्रमण्यम स्वामी की अर्ज़ी पर मामले को जल्द सुनने पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले कोर्ट ने उन्हें मुख्य पक्ष न मानते हुए जल्द सुनवाई की मांग ठुकराई थी। ये एक राजनीतिक मामला है। साल्वे ने कहा कि कोर्ट को तुरंत इस मामले पर सुनवाई शुरू कर देनी चाहिए। टालना सही संकेत नहीं देगा।