सीजेरियन डिलीवरी से क्या होता है नुकसान .
स्वास्थ्य := अगर देखा जाय तो पिछले कुछ सालो से नार्मल की बजाए सीजेरियन डिलीवरी का प्रचलन कुछ ज्यादा बढ़ गया हैं,खासकर कर शहरों में लेकिन यह डिलीवरी महिला और शिशु, दोनों के लिए हानिकारक साबित होती है।वैसे तो बाकी सर्जरी की तरह इसमें काफी परेशानियां होती हैं और इसके बाद कई प्रकार की दिक्कतें आती हैं।
@# = महिलांए इस बारे में बिलकुल भी जागरूक नहीं होती है लेकिन सीजेरियन का असर उनके बच्चे के सेहत पर पड़ता है, जिन बच्चों का जन्म सामान्य तरीके से नहीं होता उनका जन्मनाल के सम्पर्क में नहीं आता है, जिसके कारण उसमें जीवाणु अणुओं के साथ सम्पर्क में न आने की वजह से उसकी इम्यूनिटी कम हो जाती है। जन्म लेने वाले बच्चों का प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर होता है, जिसके कारण वे बीमारियों का सामना अपेक्षाकृत उतनी आसानी से नहीं कर पाते, जितना नॉर्मल डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चे कर सकते है .
@# = सीजेरियन डिलीवरी होने के बाद महिला का शरीर नार्मल डिलीवरी की अपेक्षाकृत अधिक कमजोर कमजोर हो जाता है, और नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में दो गुना खून ज्यदा बहता जाता है। देखा जाय तो नॉर्मल प्रसव से केवल दर्द होता है लेकिन सीजेरियन से प्रसव होने के बाद महिला का शरीर अंदर से काफी कमजोर हो जाता है, जो जीवनभर की समस्या बन जाती है। जिसके कारण महिलाओ में अस्थमा, डायबटीज और मोटापे जैसी अन्य तरह तरह की बीमारिया जन्म लेने लगती है , इस सीजेरियन के पहले लगाए जाने वाला इंजेक्शन भी उठने बैठने में काफी महीनो तक तकलीफ देता है,
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@# = साथ ही सीजेरियन से जन्मे बच्चे को सांस संबंधी समस्या हो सकती है। एक शोध में तो यह बात सामने आई है कि सर्जरी से होने वाले बच्चों में ब्रोनकाईटिस आदि की समस्या ज्यादा होती है। यह बच्चे जन्मनाल के माध्यम से नही गुजर पाने के कारण कुदरती तौर से कमजोर होते हैं। उसकी इम्यूनिटी कम हो जाती है, उसे एलर्जी सम्बंधी समस्या भी जल्दी हो जाती है।एक अभ्यास में तो यह बात भी सामने आई है कि सीजरेयिन की गयी मां और उसके बच्चे को मोटापे की समस्या हो जाती है, उनका वजन ज्यादा हो जाता है जब कि सामान्य प्रसव से पैदा होने वाले बच्चे, ऑपरेशन से पैदा होने वाले बच्चों की अपेक्षा 46 प्रतिशत ज्यादा स्वस्थ रहते हैं, ऐसे में बच्चे को अप्रत्यक्ष रूप से कई और भी दिक्कतें हो जाती है, जिसकी जड़ मोटापा होता है। वह उम्र से ज्यादा बडे़ नजर आते हैं, उनमें इंसुलिन की मात्रा भी संतुलित नहीं रहती है। ऐसे बच्चे, बचपन में इतने कमजोर होते हैं जिसके कारण उनमें ताउम्र कोई न कोई समस्या बनी ही रहती है। ऐसी एक नहीं बल्कि और कई अन्य समस्याएं भी होती हैं।