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सार्वजनिक जगह पर बनी मस्जिद को गिराने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक नहीं

नई दिल्ली, 26 दिसम्बर (हि.स.) । सुप्रीम कोर्ट ने नवी मुंबई के एक सार्वजनिक जगह पर बनी मस्जिद को गिराने से रोकने से मना कर दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमआईडीसी) के मस्जिद को गिराने के आदेश पर मुहर लगाई थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता शफीक अहमद खान और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टि यूयू ललित की बेंच ने मस्जिद को रेगुलराइज करने से मना कर दिया और उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने महाराष्ट्र सरकार के 5 मई 2011 के एक प्रस्ताव का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि 29 सितंबर 2009 के बाद बने किसी भी धार्मिक ढांचे को सुरक्षा नहीं दी जाएगी । उस प्रस्ताव के मुताबिक उन धार्मिक स्थलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहला जिनका रेगुलराइजेशन होगा, दूसरा जिन्हें हटाया जाएगा और तीसरा जिन्हें पुनर्वासित किया जाएगा । दीवान ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने शुरु में इस मस्जिद को तीसरी श्रेणी यानि पुनर्वास करने योग्य धार्मिक स्थल की श्रेणी में रखा था। लेकिन एमआईडीसी के 17 नवंबर के हलफनामे में इसे दूसरी श्रेणी यानि हटाने वाले धार्मिक स्थल की श्रेणी में रखा है।

उन्होंने कहा कि ये मस्जिद बहुत पुराना है और इसके नगरपालिका टैक्स का आकलन 1990-91 में किया गया था। उन्होंने कहा कि ये मस्जिद मुख्य सड़क से पचास मीटर की दूरी पर है| लिहाजा इसे पहली श्रेणी यानि रेगुलराइजेशन वाले धर्मस्थल में शामिल करने योग्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने श्याम दीवान की दलील पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट और एमआईडीसी के फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।

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