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सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उपेक्षितों का विकास ही पाठ्यक्रम का लक्ष्य: कुलपति

Uttar Pradesh.चित्रकूट/इलाहाबाद, 24 मार्च (हि.स.)। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से समाज के उपेक्षित वर्ग की समस्याओं को संकलित कर समाधान के लिये योजना बनायी जा सकती है। आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के विकास की भावना रखकर काम किया जाएगा तो सामाजिक समरसता आयेगी और सबका विकास भी होगा।

उक्त बातें मुख्यमन्त्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत संचालित बी.एस.डब्ल्यू पाठ्यक्रम के 51 जिलों से आये परामर्शदाताओं के त्रिदिवसीय पुनश्चर्या कार्यक्रम के समापन पर महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेशचन्द्र गौतम ने कही। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा किया कि मेंटर्स को विषय के प्रति सशक्त करने के लिए माह में एक बार ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम के मेंटर्स को चाहिए कि वे मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधक तत्वों और उसका समाधान खोजने की दिशा में प्रयास करें। हमारे देश में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाएँ बहुत हैं, किन्तु सभी लाभार्थियों को मालूम ही नहीं होता। यह कमजोरी योजनाओं की सफलता में सबसे बड़ा बाधक है।

उन्होंने कहा कि मेंटर्स को चाहिये कि वे स्थानीय स्तर पर किसी एक क्षेत्र के विकास, समूह के विकास का लक्ष्य लेकर ज्ञान दें ताकि उपेक्षित एवं वंचित लाभार्थी को शासकीय योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सके। यही इस पाठ्यक्रम एवं प्रशिक्षण का लक्ष्य है।
प्रो. गौतम ने कहा कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसे सामाजिक नेतृत्व जाग्रत करने वाले विशेष पाठ्यक्रम को चलाने का अवसर मिला है। इस पाठ्यक्रम की मान्यता यू.जी.सी के डिस्टेन्स एजुकेशन बोर्ड से प्राप्त है; जो इस विश्वविद्यालय की विशेष उपलब्धि है। परामर्शदाताओं की जानकारी में निरन्तर उन्नयन होना चाहिए इस दिशा में यह प्रशिक्षण निश्चय ही लक्ष्य की प्राप्ति करने में सफल साबित हुआ है। हमारे परामर्शदाता विश्वविद्यालय और छात्र के बीच कड़ी का कार्य करते हैं। सकारात्मक सहयोग एवं समन्वय ही इस कार्यक्रम की सफलता निर्भर करती है।

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जनसम्पर्क अधिकारी जय शंकर शुक्ला के अनुसार कार्यक्रम के निदेशक एवं लिंक अधिकारी डॉ.अमरजीत सिंह ने बताया कि इस पुनश्चर्या कार्यक्रम पाठ्यक्रम में कुल 244 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रो. आर.सी. सिंह, डॉ नीलम चौरे, प्रो. अरूप कुमार गुप्ता, अश्वनी दुग्गल, डॉ राकेश श्रीवास्तव, डॉ. विनोद शंकर सिंह, एवं डॉ. अजय आर. चौरे, डॉ. देवेन्द्र पाण्डेय, डॉ. अमरजीत सिंह, डॉ. अभय वर्मा, एवं डॉ. भरत मिश्रा, ने विषय विशेषज्ञ के रूप में अपने विचारों से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।

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