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नई दिल्ली, 03 जनवरी= उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सर्विस चार्ज को लेकर दिए हालिया निर्देश पर मंगलवार को नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशनऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने स्पष्ट किया कि सर्विस चार्ज लेना पूरी तरह से वैकल्पिक है। ये कहीं से भी गैरकानूनी नहीं है। ऐसे में पूरे मामले को विवाद के रूप में देखना गलत होगा।
बुधवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बात करते हुए एनआरएआई के सेकेट्ररी जनरल प्रकुल कुमार ने कहा कि सर्विस चार्ज के लिए आज की परिस्थितियों में किसी उपभोक्ता को बाध्य करना कल्पना से परे है। किसी रेस्त्रां द्वारा अपने ग्राहक से सर्विस चार्ज लेना गैरकानूनी नहीं है। वर्तमान दौर में ग्राहक अपने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर बहुत जागरूक हैं, और पूरे देश में फैले हमारे सभी सदस्य रेस्त्रां इस बात का ख्याल रखते हैं कि किसी भी प्रकार की ‘गलत व्यवसायिक परंपरा’ नहीं शुरू हो। इसे लेकर जनवरी, 2015 में ही कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया के सामने सारी सुनवाई हो चुकी है। इतना ही नहीं, कुछ साल पहले चंडीगढ़ कमिश्नर द्वारा जारी ऐसे ही आदेश को सरकार को बाद में वापस लेना पड़ा था।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि किसी भी रेस्त्रां में सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से वैकल्पिक है और कोई भी रेस्त्रां इसके लिए अपने ग्राहक को बाध्य नहीं कर सकता। दरअसल इस पूरे मामले को लेकर सरकार की ओर से मंत्रालय के सचिव को 14 दिसम्बर, 2016 को एक पत्र लिखा गया था। जिसमें मंत्रालय को रेस्त्रां, होटल्स द्वारा सर्विस चार्ज वसूलने को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था।