संयुक्त कमांड में लाई जाएंगी तीनों सेनाएं, उठाया पहला कदम
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत ने संयुक्त सैन्य कमांड की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। संयुक्त सैन्य कमांड में थलसेना, नौसेना और वायुसेना का ऑपरेशनल नियंत्रण एक अकेले थ्री स्टार सैन्य जनरल के पास होगा। इसके लिए जॉइंट कमांड से संबंधित नियमों और कानूनों में बदलाव किया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने सेना के संयुक्त कमांड को संचालित करने के लिए किसी भी एक सेवा (थलसेना, नौसेना या वायुसेना) के एक अधिकारी को सीधे कमांड देने के लिए वैधानिक नियम और ऑर्डर को नोटिफाई किया है। अब तक सेना अलग-अलग एक्ट और नियमों के तहत काम करते हैं। यह कदम खासतौर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान और निकोबार कमांड के लिए लागू किया गया है, जिसकी स्थापना भारत के पहले थिअटर कमांड के तौर पर अक्टूबर 2001 में की गई थी। हालांकि यह अब तक सेना के तीनों अंगों के बीच अधिकार, फंड, राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान के कारण अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकी है।
एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया हालांकि यह एक छोटा सा परिवर्तन लग सकता है, लेकिन इसके जरिए इंडियन मिलिटरी सिस्टम के सांस्कृतिक और आधारभूत स्वरूप में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा, जहां सेना के तीनों अंग अलग-अलग दिशाओं में काम करते हैं। अगर देश को आने वाले समय में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और थिअटर कमांड चाहिए तो आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के नियमों में बदलाव का यह पहला कदम है। बता दें कि रक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक कमेटी ने भारतीय सेना में तीन थिअटर कमांड बनाए जाने की अनुशंसा की थी। यह तीनों कमांड उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी कमांड होंगी, जिसमें एक ही कमांडर के अंतर्गत तीनों सेनाएं काम करेंगी। वर्तमान में भारतीय सेना की 17 कमांड काम कर रही हैं।
नए नियम के तहत अंडमान और निकोबार कमांड में नेवल कमांडर इन चीफ के अंतर्गत आर्मी और एयर फोर्स के अधिकारी और अन्य कर्मचारी उनके अधिकार क्षेत्र में आएंगे। सरकारी सूत्र ने बताया कि यह कदम आगे अन्य थिअटर कमांड के लिए एक उदाहरण के तौर पर काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘हिंद महासागर के इलाके में चीन के बढ़ते दखल के लिए हमें संयुक्त अंडमान और निकोबार कमांड बनाए जाने की जरूरत थी। गौरतलब है कि एनडीए सरकार शुरू से ही तीनों सेनाओं के ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स, प्लानिंग और ऑपरेशन में एकरूपता लाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थिअटर कमांड बनाए जाने और देश के उच्च सैन्य प्रतिष्ठान में सुधार का प्रयास करती रही है। उदाहरण के लिए एक ऐसा प्रस्ताव भी लाया गया था कि चीन से लगती उत्तरी सीमा और पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और समुद्री इलाके में पर जवाबी कार्रवाई के लिए संयुक्त थिअटर कमांड का गठन किया जाए लेकिन इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
वर्तमान में, अंडमान एंड निकोबार कमांड और देश के परमाणु आयुध को संभालने वाली स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड के रूप में केवल दो ही संयुक्त कमांड कार्यरत हैं। वहीं, चीन ने अपनी 23 लाख की पीपल्स लिबरेशन आर्मी को पांच थिअटर कमांड के अंतर्गत ला दिया है, जिससे उसकी रक्षा व कमांड और कंट्रोल क्षमताओं में वृद्धि हुई है। अब भारत से लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) चीन की पश्चिमी थिअटर कमांड के अंतर्गत आती है, जबकि पहले यह पूर्व में चेंगडू मिलिटरी रीजन और उत्तर में लान्चो मिलिटरी रीजन के अंतर्गत आती थी।