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शिवहर : केनरा बैंक के शाखा प्रबंधक व लिपिक समेत चार गिरफ्तार

पटना, सनाउल हक़ चंचल-

शिवहर : पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता से 10 लाख रुपये की ठगी व फर्जी निकासी के मामले में शिवहर पुलिस ने चार को गिरफ्तार कर लिया है, जिसमें भागलपुर जिले के इषीपुर थाने के इषीपुर बाराहाट निवासी केनरा बैंक के परेब बिहटा के शाखा प्रबंधक कुणाल कुमार पाठक समेत बैंक के तीन कर्मी शामिल हैं.

पुलिस ने इस मामले में बैंक अधिकारी केनरा बैंक परेब शाखा पूर्णिया जिले के कुंभारपाड़ा थाने के नाभा कलेवर रोड़ निवासी सिद्धांत महापात्रा, भोजपुर जिले के संदेश थाने के ग्राम चेला निवासी केनरा बैंक शाखा परेब के लिपिक धनेष कुमार को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. वहीं, पुलिस ने खाताधारी पटना जिले के बिहटा थाने के लेखन टोला निवासी राजीव रंजन को भी गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

पुलिस ने 32 हजार रुपये, जिस बैंक में पैसा भेजा गया उस बैंक खाता की पासबुक, 10 लाख रुपये का चेक जिस पर भुगतान किया गया, एकाउंट ओपनिंग फॉर्म भी केनरा बैंक शाखा से बरामद किया है. एसपी प्रकाश नाथ मिश्र ने कार्यालय कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि पुलिस ने पैसा निकासी के दौरान का सीसीटीवी कैमरे में कैद वीडियो फुटेज भी प्राप्त कर लिया है. एसपी ने बताया कि पीएचइडी शिवहर के कार्यपालक अभियंता द्वारा राजीव रंजन के खाते में राशि भेजी गयी. जिसका नंबर 1681101011429 है.

इस खाते की जांच से पता चला कि इस खाते में मात्र एक बार अधिकतम राशि 90 हजार रुपये आयी है. अधिकतम भुगतान 24 हजार रुपये से अधिक कभी भी एक बार में नहीं किया गया है. खाताधारी दिव्यांग व्यक्ति है. ऐसे खाते में दस लाख रुपये अचानक आता है.

खाते में राशि आने के मात्र 27 मिनट के अंदर बिना जांच किये, आइडी प्रूफ लिये बियरर चेक धारी संजीव कुमार उर्फ बिजेंद्र को भुगतान कर दिया जाता है. खाते में एसबीआइ शिवहर से ठगी की राशि जाती है. उसे केनरा बैंक शाखा परेब भुगतान करता है. बैंक अधिकारी जांच करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. ऐसे में बैंक कर्मी के इस मामले में मिली भगत की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है.

बताया कि बियरर चेक खाताधारी दिव्यांग राजीव रंजन ने मात्र 50 हजार रुपये की लालच में संजीव कुमार उर्फ विजेंद्र को दिया था. पूरे मामले में रिंग मास्टर संजीव कुमार उर्फ विजेंद्र है. जो अभी तक पुलिस  गिरफ्त में नहीं आया है. राज्य में सामान्य तौर पर दो लाख से अधिक का भुगतान नहीं किया जाता है. बैंक कर्मी ने दस लाख का भुगतान कैसे कर दिया.

इससे बैक कर्मी का दोष प्रमाणित होता है. बताते चलें कि 2 अक्टूबर को पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता मनीष कुमार ने थाने में दस लाख ठगी की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें कहा गया है कि फर्जी सचिव विनय कुमार के नाम से फोन कर अस्पताल में भर्ती की बात कहते हुए दस लाख की मांग फोन से की गयी. 

उसके बाद एक संवेदक से दस लाख रुपये प्राप्त कर उन्होंने आरटीजीएस के माध्यम् से राजीव रंजन के खाते में राशि एसबीआइ शाखा शिवहर से भेजी थी. उन्हें तुरंत सचिव के मेल चेक करने पर पता चल गया था कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं. घटना 26 सितंबर की बतायी गई है. पुलिस टीम में एसडीपीओ प्रीतीश कुमार, नगर थानाध्यक्ष धनंजय कुमार, पुअनि विनय कुमार, पुअनि दयाशंकर साह व सशस्त्र बल शामिल थे.

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