शिक्षकों के अभाव में , कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य !
अमेठी, 20 जनवरी= उत्तर प्रदेश सरकार और उसका प्रशासनिक अमला शिक्षा के स्तर को संवारने का भले ही दम भर रहा हो, लेकिन अंदरखाने सब कुछ इसके विपरीत ही है। शासन स्तर से जहां एक ओर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाकर उच्च शिक्षा की सूरत बदलने का भरसक प्रयास किया जा रहा हो। वहीं विकासखण्ड सिंहपुर में हकीकत ठीक उल्टी है।
क्षेत्र में दो राजकीय इंटर कालेज सहित दो राजकीय हाईस्कूलों की स्थापना कर बच्चों को उच्चशिक्षा दिलाने के प्रयास किए गये। लेकिन अध्यापकों की कमी के चलते यहां उच्च शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। क्षेत्र के राजकीय कालेजों में शिक्षकों का आकाल पड़ा हुआ है। यहां तक कि एक अदद प्राचार्य भी नियुक्त नहीं किया जा सका है।
इन्हौना स्थित राजकीय इंटर कालेज की स्थिकत और भी बदतर है। जहां महज तीन शिक्षकों के सहारे ही छः से बारह तक की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जबकि इस विद्यालय में 500 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। ऐसे में सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा महकमा उच्च शिक्षा के प्रति कितना फिक्रमंद है। कमोवेश यही हाल राजा… के राजकीय इंटर कालेज का भी है। यहां भी महज तीन प्रवक्ताओं सहित कुल पांच अध्यापकों ने हजारों छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने का जिम्मा उठा रखा है। ऐसे में भी कई अध्यापक आए दिन स्कूल से गायब रहते हैं।
शिक्षकों के अभाव से जूझ रहे विद्यालयों के अधिकांश बच्चे इधर उधर घूमते नजर आते हैं। इंटर कालेज में बीते कई वर्ष से शिक्षक के अधिकांश पद रिक्त पडे है। इन पदों पर आज तक दोबारा नियुक्ति न होने से हजारों बच्चों का भविष्य अंधकारमय ही नजर आ रहा है। अच्छी तालीम दिलाने के लिए महकमा भले ही ढिंढोरा पीट रहा हो पर जमीनी हकीकत यह है कि विषयवार अध्यापकों के न होने के कारण सत्र के आखिर तक भी पाठयक्रम अभी तक पूर्ण नहीं किया जा सका है। वहीं जो शिक्षक हैं भी बच्चों को शिक्षित करने में उनकी रूचि ही नहीं हैं। परिणामस्वरूप अगस्त माह बीतने को है, लेकिन हाईस्कूल के बच्चां को एक भी दिन गणित, विज्ञान तथा अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय की शिक्षा नहीं दी जा सकी है।