धर्म क्षेत्र

शान्ति मन्दिर, मगोद का १८वां वार्षिकोत्सव का समारोह संपन्न हुआ

रमेश तिवारी(बलसाड): गतदिन शान्ति मन्दिर, मगोद का १८वां वार्षिकोत्सव महामण्डले श्वर स्वामी नित्यानन्द सरस्वती जी की अध्यक्षता में आश्रम के भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ ।

श्रीमुक्तानन्द-संस्कृत-महाविद्याय के छात्रों ने अपने सम्बोधनों, वेदपाठ एवं रसमय संकीर्तन द्वारा उपस्थित भक्तगण एवं संस्कृत जगत् के मूर्धन्य विद्वानों का मन मोह लिया । आश्रम के वतावरण एवं विद्यार्थियों की आभा से प्रभावित होकर श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अर्कनाथ चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने जो प्राचीन गुरुकुलों की व्याख्या भारतीय ग्रन्थों में पढ़ी थी उसे आज शान्ति मन्दिर में साक्षात देखकर हृदय बहुत आनन्दित हुआ । कुलपति महोदय ने कहा कि वर्ष २०१७ का प्रथम दिवस शान्ति मन्दिर में बिताकर लगता है कि पूर्वजन्म का कोई पुण्य जागृत हुआ है । शान्ति मन्दिर संस्कृत के साथ साथ आध्यात्मिक विद्या का केन्द्र भी है और तीनों प्रकार की पीड़ा का शमन करने वाला है ।

kbn10-news-balsad-1अपने ओजस्वी प्रवचन में हरिद्वार से पधारे महामण्डलेश्वर स्वामी आनन्द चैतन्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमुक्तानन्द संस्कृत महाविद्यालय की उप्लब्धियों को देखकर लगता है यह महाविद्यालय एक दिन विश्वविद्यालय बनकर रहेगा । आगे भक्ति की व्याख्या करते हुए महाराजश्री ने कहा कि जिस प्रकार तपाने पर तांबे जैसा कठोर धातु भी पिघलकर विभिन्न प्रकार के सुन्दर पदार्थों का रूप ले लेता है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में तरलता आती है तो समझो कि भक्ति जागृत हुई है । आदि शंकराचार्य जी ने स्व-स्वरूप के अनुसंधान को ही भक्ति कहा है ।  भक्ति के बिना हम सब अधूरे हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य भक्ति ही है । उन्होंने आगे कहा कि भक्ति हृदय का विषय है.

आगे भी पढ़े :भारतीय संस्कृति में प्रचलित और कई ग्रंथों में उल्लेखित भारत के कई ऐसे  रहस्य हैं, जो अभी तक अनसुलझे हुए हैं.

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