शरद यादव को चुनाव आयोग से झटका, तीर चुनाव चिह्न जब्त करने की मांग ठुकराई, नीतीश गुट की पहली विजय
पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना: खुद को जदयू का बड़ा नेता बताकर पार्टी का चुनाव चिह्न तीर पर दावेदारी करनेवाले शरद यादव को चुनाव आयोग ने झटका दिया है। इस चुनाव चिह्न को जब्त करने की उनकी दावेदारी को खारिज कर दिया है। खुद को जदयू का असली प्रणेता बताकर चुनाव चिह्न पर दावेदारी कर इसे जब्त करने की याचिका शरद ने चुनाव आयोग के समक्ष डाली थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने उनकी दलिलों को नहीं मानी और चुनाव चिह्न जब्त करने से इंकार कर दिया। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी। राजद के साथ जदयू का महागठबंधन टूटने के बाद लालू के साथ खड़े हुए शरद ने जदयू का असली नेता खुद को बताते हुए चुनाव चिह्न को जब्त करने की मांग कर डाली थी। चुनाव आयोग के समक्ष शरद यादव गुट की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव चिह्न को जब्त करने संबंधी दलीलें रखीं, लेकिन आयोग इससे सहमत नहीं हुआ। आयोग ने माना कि जिस गुट के साथ तमाम विधायक, विधान पार्षद व सांसद हैं उसी गुट को मान्यता दी जाएगी। हालांकि आयोग का अंतिम फैसला 13 नवंबर को आने की उम्मीद है, इस दिन शरद गुट के दावे पर जिस प्रकार का आयोग का रूख रहा है उसपर अंतिम मुहर लग जाएगी।
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने बताया कि शरद गुट ने स्वीकार किया कि पार्टी का विधायी विंग जिसमें एमपी, एमएलए और एमएलसी आते हैं, वह नीतीश कुमार के साथ है। शरद यादव का गुट चाह रहा था कि किसी प्रकार तीर चुनाव चिह्न जब्त हो जाए ताकि अगले चुनाव में जनता भ्रम में रहे, लेकिन आयोग ने उनकी मांग ठुकरा दी है। अब अगली सुनवाई 13 को होगी, जिसमें फैसले पर मुहर लग जाएगी। आज शरद यादव को उस दावे की भी हवा निकल गई जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कई विधायक व पार्टी के बागी नेता उनके साथ है और असली जदयू उनके साथ है। इसी तर्क के आधार पर शरद गुट ने चुनाव आयोग के समक्ष दावा किया था कि चुनाव चिह्न पर उनका अधिकार है। उनकी ओर से आयोग के समक्ष तीसरी याचिका रखे जाने की बात सामने आई है।
यहां बता दें कि शरद के दावे की नीतीश कुमार की ओर जमकर प्रतिरोध किया गया था और आयोग के समक्ष तमाम पक्ष रखे गए थे, जिसमें पार्टी के सांसद, विधायक, विधान पार्षदों के अलावा पार्टी की कार्यकारिणी के नेताओं की सहमति से संबंधित सभी दस्तावेज आयोग को दिए गए थे। आयोग ने तमाम पक्ष की ओर से दिए गए शपथ पत्र के आलोक में सुनवाई करते हुए चुनाव चिह्न को जब्त करने संबंधी शरद यादव गुट की मांग को इंकार कर दिया है।