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विश्‍वनाथ मंदिर में अब धोती-कुर्ता में दिखेंगे पुलिस के जवान

वाराणसी (ईएमएस)। वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्‍वनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों के लिए नया ड्रेस कोड लागू किया गया है। अब मंदिर के गर्भगृह में तैनात पुलिस जवान खाकी वर्दी की बजाए धोती-कुर्ता पहनकर ड्यूटी देंगे। गर्भगृह के बाहर तैनात रहने वाले पुलिस वालों पर यह नियम लागू नहीं होगा। बाबा के भक्‍तों के साथ काशी विश्‍वनाथ मंदिर न्‍यास के सदस्‍य प्रोफेसर चंद्रमौलि उपाध्‍याय ने पुलिस प्रशासन के इस निर्णय की सराहना की है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर कैंपस और बाहरी हिस्‍से में सुरक्षा के मद्देनजर तीन चरणों में सैकड़ों जवान रोज ड्यूटी देते हैं। गर्भगृह में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैनात पुलिस जवान वर्दी में और चमड़े की बेल्‍ट लगाए ड्यूटी देते रहे हैं। इसका लंबे समय से विरोध हो रहा था। बाबा के भक्‍तों का कहना था कि गर्भगृह में रहने वाले अर्चक सेवादार हों या पुलिस जवान, शुचिता के लिए ड्रेस कोड लागू होना ही चाहिए। मंदिर न्‍यास की बैठक में भी कई बार यह मसला उठा, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका था। पुलिस प्रशासन ने अब इस दिशा में कदम उठाया है।

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ज्ञानावापी सुरक्षा प्रभारी एसपी शैलेंद्र कुमार राय ने बताया कि लंबे समय से चल रही प्रक्रिया के बाद गर्भगृह में तैनात जवानों के लिए नया ड्रेस कोड अनिवार्य कर इसे तत्‍काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। छह-छह घंटे की शिफ्ट में छह-छह जवानों की ड्यूटी गर्भगृह में लगती है। इस तरह कुल 18 जवानों को पुलिस विभाग की ओर से धोती-कुर्ता उपलब्‍ध कराया गया है। इसे पहनने पर ही जवान गर्भगृह में ड्यूटी पर रह सकेंगे। एसपी के मुताबिक मंदिर कैंपस और बाहरी इलाके में तैनात जवानों पर नया ड्रेस कोड लागू नहीं होगा। सोमवार को मंदिर के गर्भगृह में खाकी वर्दीधारी जवान न दिखने पर लोग हैरान थे। गर्भगृह से पुलिस जवनों को हटाए जाने की चर्चा होने लगी, वहीं धोती-कुर्ता पहने कुछ लोगों को गर्भगृह से भीड़ बाहर निकालने में जुटे देख भक्‍तों ने इन्‍हें पंडा समझ लिया। काफी देर बाद पता चला कि पुलिस जवान खाकी वर्दी छोड़ धोती-कुर्ता में ड्यूटी दे रहे हैं।

दो साल पहले विश्‍वनाथ मंदिर में भारतीय संस्‍कृति के प्रचार-प्रसार के नाम पर विदेशी महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया था। उनके जींस-टॉप, कैप्री और टी-शर्ट पहनकर मंदिर में एंट्री पर रोक लगाकर साड़ी पहनना अनिवार्य किया गया था। कुछ दिनों तक ही यह नियम प्रभावी रहा। वर्तमान समय से विदेशी अपने पहनावे में ही मंदिर में आते-जाते हैं।

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