लालू परिवार पर छापों और नीतीश की चुप्पी से बिहार की राजनीति गरमाई
नई दिल्ली, 10 जुलाई : लालू परिवार पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के छापे ने बिहार की सियासत गरमा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने और उप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मंगलवार को दिल्ली में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से दूर रहने तथा इन छापामारी पर मौन रहने से राजनीतिक गलियारों में उनके द्वारा कोई नया राजनीतिक समीकरण बनाए जाने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं| ऐसा होने पर बिहार में राजद जदयू गठबंधन के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव तक बने रहने पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
नीतीश का राष्ट्रपति पद की यह विपक्षी दलों की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार के पटना पहुंचने पर राजगीर चले जाना और अब उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्षी दलों की दिल्ली में बैठक में भाग नहीं लेने से विपक्ष को करारा झटका लगा है। हालांकि इस बैठक में जदयू की ओर से शरद यादव और केसी त्यागी के भाग लेने की संभावना है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालू परिवार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से नीतीश विचलित हैं| उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से कैसे इस्तीफा मांगें क्योंकि राजद ने स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे| ऐसे में यह उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के लिए चुनौती है| पूर्व में वह जीतनराम मांझी और तीन अन्य मंत्रियों से इस्तीफा ले चुके हैं ।
जदयू सूत्रों के अनुसार कल 11 जुलाई को देश और बिहार की ताजा स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक पटना में बुलाई गई है जिसमें पार्टी के सभी पदाधिकारी, सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, सभी मोर्चा के नेता आदि भाग लेंगे| बैठक की अध्यक्षता नीतीश करेंगे| ऐसे में यह इस बात का संकेत है कि नीतीश राष्ट्रपति ,उप राष्ट्रपति के चुनाव में अपनी अलग राह चुन सकते हैं।