उत्तर प्रदेशखबरे

रात 11 बजे एक विधवा महिला के घर पहुंची कलेक्टर किंजल सिंह तो महिला का जीवन ही बदल गया।

केशव भूमि नेटवर्क :=वैसे तो हमने कई अधिकारियो के कारनामे देखे और सुने है, लेकिन उत्तर प्रदेश के फैजाबाद की डीएम किंजल सिंह अाधी रात को एक विधवा महिला के घर पहुंची तो महिला का जीवन ही बदल गया।

दरअसल यह वाकया सोमवार संध्याकाल करीब 7 से 8 के मध्य का है।जब सराय पोख्ता मस्जिद की व्यवस्था देखने के लिए अचानक चौक सब्जी मण्डी में पंहुची  किंजल सिंह को जर्जर हालत की वृद्ध  विधवा महिला मूना पर नजर पड़ी जो सब्जी बेंच रही थी। उसे देख कर  किंजल सिंह के मन में करुणा जागी और  मूना के पास किंजल सिंह ने  करैले का भाव पूंछा और  एक किलो करैला लिया जिसकी कीमत 50 रूपये थी परन्तु उसके एवज में मूना को उहोंने 1550 रूपये दिया और घर का अता-पता हाल-चाल पूंछकर चली गयीं।
बात यहीं खत्म नहीं हुई, करेले खरीदने के बाद डीएम रात में मूना के घर पहुंची जहां उनकी माली हालत देख उन्हें दुख हुआ। डीएम ने तुरंत अधिकारियों को आदेश दिया कि मूना के घर 5 किलो दाल, 50 किलो गेंहूं 40 किलो चावल उपलब्ध कराओ जब तक यह  राशन आ नहीं जाता मैं यहीं रहूंगी। किंजल सिंह का फरमान सुन डीएफओ के फाक्ते उड़ गये कोटेदारों की दूकाने रात में बन्द हो चुकी थीं डीएसओ के एक शुभचिन्तक ने सलाह दिया कि कंधारी बाजार का कोटेदार राकेश गुप्ता की बहुत बड़ी राशन की दूकान है उसी से सारे सामान मंगवा लें। डीएसओ साहब गाड़ी पर सवार होकर कोटेदार राकेश की दूकान पर पँहुचे  इतना सामान राकेश देने में जब असमर्थता जताने लगे तो पड़ोस के कोटदार आनन्द गुप्ता को भी तलब कर लिया गया। दोनो कोटेदारों ने डीएम की मंशा के अनुरूप राशन डीएसओ की गाड़ी में भरवाया और डीएमओ उसे लेजाकर मूना के हवाले कर दिया तब तक रात्रि के 12 बज चुके थे और डीएम साहिबा मौके पर थीं।
डीएम किंजल सिंह की उदारता यहीं नहीं थमी  उन्होंने एसडीएम दीपा अग्रवाल को निर्देशित दिया की  सुबह होते ही मूना को एक टेबल फैन, उज्जवला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडर  चूल्हा के साथ , तख्त, दो साड़ी और चप्पल उपलब्ध करा दिया जाय। एडीएम व एसडीएम ने मिलकर यह मांग मंगलवार की सुबह ही पूरा कर दिया। जाते -जाते 75 वर्षीय मूना से वादा कर गयीं कि खाना पकाने का वर्तन, पानी पीने के लिए एक हैण्डपम्प और रहने के लिए आवास का निर्माण सरकारी खर्चे से कराया जायेगा। डीएम की इस उदारता से जहां विधवा  मूना व नातिन रीतू फूली नहीं समा रही हैं वहीं शहर के नुक्कड़ चौराहों के टी स्टालों पर डीएम की उदारता की चर्चाएं आम हो गयी हैं। लोग यहां तक कह रहे हैं कि काश डीएम साहिबा मेरे घर आ जातीं तो कम से कम उज्जवला के तहत हमें भी एलपीजी सिलेंडर व चूल्हा ही मिल जाता।

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