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राजस्थान के शिक्षक अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

बड़ी अदालत ने राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा शिक्षकों की भर्ती के लिए पात्रता के लिए दिए गए फैसले पर रोक लगा दी

नई दिल्ली, 03 जुलाई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा शिक्षकों की भर्ती के लिए पात्रता के लिए दिए गए फैसले पर रोक लगा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले 30 अप्रैल को आदेश दिया था कि स्नातक, बीएड और रीट तीनों में जो विषय है शिक्षक का उसी विषय के लिए चयन हो सकता है ।

राजस्थान सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करनेवाले सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने 17 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। राजस्थान हाईकोर्ट में मनीष मोहन बोहरा और 25 अन्य याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा था कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए संबंधित विषय का शिक्षक होने के लिए रीट में संबंधित विषय होना अनिवार्य था, स्नातक और बीएड में संबंधित विषय की अनिवार्यता नहीं थी।

हाईकोर्ट ने स्नातक और बीएड में भी संबंधित विषय अनिवार्य करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने स्नातक और रीट में भी संबंधित विषय की अनिवार्यता की शर्त जोड़ दी। याचिकाकर्ता मदन मोहन बोहरा ने रीट में अंग्रेजी विषय नहीं लिया था लेकिन स्नातक और बीएड में अंग्रेजी विषय था। उसके बाद उसे अंग्रेजी के शिक्षक के रुप में नियुक्त करने से इनकार कर दिया। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि शिक्षक के लिए जरूरी पात्रता बीएड है वहां विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं है| इसलिए रिट में विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं की जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है इसलिए बीएड और स्नातक में संबंधित विषय होना आवश्यक है। जिसके पास बीएड में संबंधित विषय नहीं है वह उस विषय का शिक्षक बनने का पात्र नहीं हो सकता है। बीएड और स्नातक में संबंधित विषय होना अनिवार्य है| इसलिए पात्रता के लिए रिट में भी संबंधित विषय होना चाहिए। इसलिए रिट में संबंधित विषय नहीं रखनेवालों को उस विषय के शिक्षक के रुप में नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।

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