मोनेट स्टील पर लटकी कुर्की की तलवार, नहीं मिला कोई खरीददार
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मुंबई (ईएमएस)। दिवालिया हो चुकी मोनेट इस्पात की कुर्की हो सकती है, क्योंकि बोली लगाने के आखिरी दिन भी किसी ने उसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रिजॉलूशन प्रोफेशनल ने 19 जून को क्रेडिटर्स कमेटी की बैठक बुलाई है, ताकि बिडिंग का एक और राउंड आयोजित करने सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि सरकार के ऐक्शन का इंतजार करने या डूब चुके लोन को किसी बैड बैंक के पास ट्रांसफर करने के विकल्प भी सामने हैं।
मोनेट इस्पात को दिए कर्ज पर आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बैंकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। मोनेट पावर पर लेंडर्स के 7,652 करोड़ रुपये बकाया हैं। मोनेट पावर स्टील बनाने वाली कंपनी मोनेट इस्पात की 88 फीसदी सब्सिडियरी है। मोनेट इस्पात भी बिक रही है। उसे जेएसडब्ल्यू स्टील के हाथ बेचा जा रहा है, जिसने प्राइवेट फंड ओआईओएन के साथ मिलकर वादा किया है कि मोनेट इस्पात पर मौजूद 10300 करोड़ के कर्ज में से 3750 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। मोनेट पावर के लिए बिडर्स के आगे न आने से यह बात भी साफ हो रही है कि निर्णय करने में लेंडर्स के देरी करने से किसी एसेट की वैल्यू किस तरह घट सकती है।
दो साल पहले जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने मोनेट पावर को खरीदने का ऑफर दिया था, जब लागत बढ़ने के कारण पावर कंपनी मुश्किल में फंसती दिखी थी। हालांकि डील नहीं हो सकी, क्योंकि कुछ लेंडर्स अपनी बकाया रकम का कुछ हिस्सा छोड़ने को राजी नहीं थे।
उसके बाद लेंडर्स ने इस कंपनी को रिवाइव करने की कई कोशिशें कीं। आईडीएफसी बैंक की अगुवाई में लेंडर्स ने 2016 में अपने बकाए का कुछ हिस्सा इक्विटी में इस उम्मीद में बदला था कि वे नए प्रमोटर को इक्विटी बेचकर पैसा रिकवर कर सकेंगे। मोनेट पावर को बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक और देना बैंक ने भी कर्ज दिया है।
उधर एसबीआई कर्ज नहीं चुका पा रहीं 11 बड़ी पावर कंपनियों के रिजॉल्यूशन पर गौर कर रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक, कंपनी के नहीं चुकाए जा सकने लायक कर्ज को इक्विटी में बदला जाएगा और एनटीपीसी जैसी किसी दूसरी इकाई के पास रखा जाएगा। उसके बाद प्रोजेक्ट पूरा होने पर लेंडर्स अपना स्टेक दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों को बेच देंगे। मॉनेट पावर को खरीदने में किसी के भी दिलचस्पी नहीं दिखाने से इस बात की उम्मीद कम ही दिख रही है कि एसबीआई की समाधान योजना के तहत चिन्हित दूसरी पावर कंपनियों के लिए भी कोई बायर मिलेगा।