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फीस बढ़ोतरी को नियमित करने का प्लान
नई दिल्ली (ईएमएस)। देश में प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों से ज्यादात्तर परिजन हमेशा ही परेशान रहते है। कई बार शिकायत होने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होती है। लेकिन अब परिजनों को केंद्र की मोदी सरकार आने वाले वक्त में बड़ी राहत दे सकती है। दरअसल,सरकार प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को नियमित करने का विचार कर रही है। इसके बाद प्रायवेट स्कूल अपनी मर्जी से कितनी भी फीस बढ़ाकर परिजनों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाल पाएंगे। फिलहाल कुछ राज्यों में ऐसी नीति लागू है जिस अब केंद्र सरकार सभी राज्यों में लागू करने का प्लान बना रही है। इस अस्तित्व में लाने से पहले केंद्र सरकार राज्यों और स्टेकहोल्डर्स से बातचीत कर रही है।
केंद्र सरकार पिछले कुछ वक्त से यूपी सरकार ने अध्यादेश की स्टडी कर रही थी,जिसका केंद्र सरकार के अधिकारी के मुताबिक वहां बहुत फायदा हो रहा है। बता दें कि इसी साल उत्तरप्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगा दी थी। अप्रैल में यूपी सरकार का एक अध्यादेश आया था। इसमें साफ किया गया था कि प्राइवेट स्कूल 8 प्रतिशत से ज्यादा फीस बढ़ा ही नहीं सकते। इसके लिए अध्यादेश लाने का फैसला इसलिए किया गया था क्योंकि उस वक्त विधानसभा सेशन नहीं चल रहा था। वहां के सभी प्राइवेट स्कूलों,अल्पसंख्यक संस्थान इसके अंतर्गत आते हैं। स्कूल चाहे सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई),काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) या यूपी बोर्ड किसी के भी अंतर्गत हो,वह फीस नहीं बढ़ा सकता। स्टडी में केंद्र सरकार को यूपी सरकार का मॉडल भले ही पसंद आया हो। लेकिन इसमें कुछ बदलाव भी किए जा सकते हैं। जैसे फीस बढ़ोतरी को नियमित करने के साथ-साथ सरकार कैपिटेशन फीस पर पूरी रोक लगा सकती है। स्कूल हर साल वर्दी के नाम पर भी पैसे लेते हैं, वह भी बंद हो सकता है। बता दें कि साल 2017 में गुजरात विधानसभा में फीस रेग्युलेशन एक्ट पास किया गया था। महाराष्ट्र में भी पहले से ऐसा एक एक्ट है।