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मुंबई रेलवे की सुरक्षा का नया सिंघम – आनंद विजय झा

जय सिंह                                                      दि: 26/1/2016

11 जुलाई 2006  को मुंबई की धड़कन कहे  जाने वाले लोकल ट्रेन में एक बड़े  सीरियल ब्लास्ट जिसमे  209 लोगो की मौत हो गई थी और करीब 714  लोग घायल हो गए थे इतना बड़ा हादसा होने  के बाद भी लोकल की सुरक्षा  में लगी आरपीएफ [रेलवे सुरछा बल ] के अधिकारियों और कर्मचारियों में कोई सुधार नहीं हुआ ,रेलवे  परिसर में असामाजिक तत्व अपने आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते रहे . यहाँ तक की  लोकल रेलवे की लूप लाइने भी असुरक्षित  है  ,लोकल में अश्लील पोस्टर  चिपकाने का मामला हो या रेलवे के रूम पर जबरन कब्जा करने का मामला ,टिकट की दलाली हो या रेलवे परिसर में हॉकर्स माफियाओ का जमावाड़ा इस पर अंकुश लगाने का काम आरपीएफ के जवानो की टीम के मुखिया यानी मुंबई डिवीजन के मंडल सुरक्षा आयुक्त आनंद विजय झा ने किया है .

     जिसके कारण मुंबई के लाखो रेलयात्री अब अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है और  अब मुंबई के रेल यात्री झा को  रेलवे का सिंघम मानने लगे है. उनका कहना है की अगर आपमें  काम करने की लगन और कार्य करने की क्षमता है तो कोई काम  मुस्किल नहीं .और इस मुश्किल काम को उन्होंने आसान कर दिखाया है.

कौन है आनंद विजय झा संक्षिप्त में .

1997 में विधि और लोकप्रशासन से सिविल सर्विस की परीक्षा  पास करने वाले विजय झा सहरसा जिले के महेसी गाव के रहने वाले आनंद  झा  को 5 भाई बहने  है और वह दूसरे नंबर पर है. उन्होंने 1997 में विधि और लोकप्रशासन से सिविल सर्विस की परीक्षा पास की . और रेलवे ज्वाईंट कर लिया .

क्या कहते है आनंद  झा….बातचित के कुछ अंस

झा का कहना है हमारे माता -पिता  ने हम 5 भाई बहनो को अच्छी पढ़ाई कराने के लिए पूरी जमा पूँजी लगा दी .और हमारे माताजी हमेशा यही कहती थी की जंहा  भी रहना अच्छा करना जिससे आपका मन कभी दुःखी नहीं होगा और शायद माता -पिता का ही यह आशीर्वाद है जो मै लोगो के लिए अच्छा काम करने की कोशिश कर रहा हु .

सवाल -पढ़ाई पूरी होने के बाद जब आप का ट्रेनिग पूरा हुआ उसके बाद आप की पहली पोस्टिंग कहा हुयी और आपका अनुभव क्या रहा ?

झा जी कहते है की इन्सान की पढ़ाई पूरी कहा होती है इन्सान जिंदगी जीवन भर हर मोड़ पर कुछ न कुछ पढ़ता रहता है .मैंने दिल्ली विश्वबिद्यालय  से मैथमेटिक्स में  बीएससी किया .और ट्रेनिग के बाद मै गोरखपुर ,हुबली ,आसाम ,भोपाल ,के अलावा रेलवे स्टाफ कालेज में ला का प्रोफेसर रहा , जहा मैंने ग्रुप क ख के अधिकारियों को क़ानून की  पढ़ाई पढाया   ,इसके अलावा रेलवे भूमि प्राधिकरण में ३ साल तक लीगल हेड रहा . नई दिल्ली रेलवे बोर्ड में डायरेक्टर  ऑफ़ आरपीएफ भी रह चुका हु .

सवाल  –  ट्रेन की पटरी पर होने वाली मौतों के बाद उनका परिवार आरपीएफ थानो  के चक्कर काट रहे थे आपके आने के बाद जो 1453  फाइल पेंडिंग पड़ी थी अब 75  है तो यह समझा जाए की आपके पहले वाले काम नहीं कर रहे थे ?

 

जवाब – कौन क्या करता है इस पर मुझे कुछ नहीं कहना लेकिन यह सत्य है कि मेरे आने के बाद मैंने अपना काम किया है और सिर्फ वही फाइल नहीं कई सारे काम पूरे हुए है .

सवाल  = आरोप है की आपका विभाग रिस्वत लेकर लोकल ट्रेनों में अश्लील ,बंगाली बाबाओ के प्रचार का  पोस्टर चिपकाता था , हॉकर्स माफियाओ का जमवाड़ा हो गया था ,लूप लाइने असुरक्षित थी ?

जवाब –मै फिर कह रहा हु कि कौन क्या करता है ,मुझे नहीं पता लेकिन आप अब लोकल ट्रेनों में पोस्टर दिखाओ . हॉकर्स माफिया आप कह रहे है  मै तो फेरीवाला जानता हु अब  नहीं है . रेलवे की कई जमीने मुंबई सेंट्र्ल और खार में कई मकान लोगो ने कब्जा कर रखा था उसको खाली करवाया और यह सब मेरे बस का नहीं है आप जिन जवानो पर आरोप कर  रहे हो सब उन्ही के कारण संभव हो सका है .

सवाल  = यह सब करते हुए आप पर राजनितिक दबाव। …………

जवाब – क्यों  आएगा ?  जनता का काम करना गलत है क्या ? दबाव तब आता है जब आप गलत होते हो और बीच में अचानक याद करते हुए….. हां आये थे एक नेता  महोदय बड़े है दिल्ली के आये थे की रेल परिसर में  फेरीवालों को बैठने दो हमने कहा की आप जो बोल रहे हैं वह सब लिख कर हमें दे दो हम बैठा देंगे लेकिन उन्होंने लिख कर नहीं दिया .

सवाल – अपराध पर कितना अंकुश  लगाया आपने ?

 

जवाब – मेरे आने के बाद सभी रेलवे एक्ट के अपराध पर अंकुश लगा है उनके प्रतिशत में कमी आई है ,मसलन आर पी [यु पी ] एक्ट १९६६ के तहत दर्ज होने वाले मामले जो पहले दर्ज होते थे उनकी जाँच में ७४ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और नए मामले मात्र ६३ प्रतिशत आ रहे है . इसी तरह के रेलवेस एक्ट १९८९ में भी काफी सुधार हुआ है , इसी तरह के कई मामले है जो नए मामले दर्ज होने की संख्या में गिरावट आई है जबकि जो मामले दर्ज हुए है उनकी जांच भी बड़ी तेजी से हो रही है.

सवाल – मुंबई में आर पी एफ का ट्रेनिग सेंटर आपने खुलवाया क्या जरुरत थी ? अगर थी तो पहले क्यू नहीं खुलवाया गया?

जवाब – पहले का मुझे पता नहीं लेकिन  भाईंदर और मुंबई सेंट्रल में ट्रेनिग सेंटर खुलने से आरपीएफ के जवानो का समय बचता है पहले यह  ट्रेनिग गुजरात में होती थी .

सवाल – आपको मुंबई के रेलयात्री और आरपीएफ से जुड़े लोग सिंघम कहने लगे है सुनकर कैसा लगता है .

जवाब – नहीं मै कोई सिंघम नहीं हु बल्कि एक समर्पित रेलकर्मी हु जो सिर्फ अपना काम कर रहा हु .

 

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