महाराष्ट्र – 40 साल बाद बना मछुआरों के लिए नया कानून
महाराष्ट्र समुद्री मत्स्य नियमन (संशोधन) अध्यादेश 2021 को राज्यपाल की मंजूरी
मुंबई. समुद्र से सटे तटीय क्षेत्र में मछली पकड़ने और मछली पकड़ने के कारोबार जुड़े महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है. राज्य के मत्स्य मंत्री असलम शेख ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र मैरीटाइम फिशरीज रेगुलेशन (संशोधन) अध्यादेश को आखिरकार राज्यपाल के हस्ताक्षर से महाराष्ट्र में लागू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नया कानून पारंपरिक मछुआरों के हित में होगा क्योंकि महाराष्ट्र में अवैध मछली पकड़ने पर सख्त दंड लगाया गया है. मछली के स्टॉक को स्थायी तरीके से संरक्षित करने और पारंपरिक मछली पकड़ने के हितों की रक्षा के लिए अवैध मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने की आवश्यकता बताई जा रही थी, जिसे इस अध्यादेश के जरिये पूरा कर दिया गया है.
मंत्री असलम शेख ने कहा कि पिछले 40 वर्षों में मत्स्य पालन और मछली पकड़ने के तरीके बदल गए है और इसलिए एक नए एक नए कानून की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही थी. पिछले 10 साल से मछुआरे अवैध रूप से मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने के लिए संशोधित कानून की मांग कर रहे हैं और मछुआरों के परामर्श से कानून में कई प्रावधान शामिल किए गए हैं. उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा कानून महाराष्ट्र राज्य में 4 अगस्त, 1982 को लागू हुआ था और तब से मत्स्य पालन और मछली पकड़ने के तरीके बदल गए हैं.
कार्रवाई के सभी अधिकार मत्स्य विभाग को
संशोधित महाराष्ट्र समुद्री मात्स्यिकी नियमन अधिनियम में अवैध रूप से मछली पकड़ने पर कड़ी सजा का प्रावधान कर दिया गया है औऱ इस नए अध्यादेश के अनुसार सजा देने सहित कार्रवाई के सभी अधिकार मत्स्य विभाग को दे दिए गए हैं. न्यायिक अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होने वाले व्यक्ति 30 दिनों के भीतर मत्स्य पालन आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य के पास अपील कर सकते हैं.
नए कानून की प्रमुख बातें ..
* लाइसेंस मछली पकड़ने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना
* एलईडी और बुल ट्रोलिंग से मछली पकड़ने पर 5 लाख से 20 लाख रुपये तक का जुर्माना
* TED (टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस) रेगुलेशन ऑर्डर के उल्लंघन पर 1 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना
* अध्यादेश द्वारा शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए इसकी एक राज्य सलाहकार और निगरानी समिति होगी जिसकी अध्यक्षता राज्य मत्स्य पालन आयुक्त करेंगे