महाराष्ट्र – सरकार पर भड़के बिजली कर्मी , कहा MSEDCL को घाटे में दिखा कर निजीकरण की साजिश
मेस्मा कानून का सरकार हथियार के रूप में करती है प्रयोग
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केशव भूमि नेटवर्क \ पालघर : बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में व अन्य मांगो को लेकर दो दिन के हड़ताल पर गए पालघर एमएसईडीसीएल के अधिकारीयों और कर्मचारीयों नें महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. अधिकारीयों का कहना हैं. सरकार जानबूझ कर व एक साजिस के तहत एमएसईडीसीएल को घाटे में बता रही है , ताकि इसे पूंजी पतियों के हाथ बेच सके. जबकि एमएसईडीसीएल आज की तारीख में फायदे में चल रही है.
सरकार ,किसानों को ,पावरलूम कों और पोल्ट्री फॉर्म को जो सब्सिडी के तहत डेढ़ रूपये यूनिट में बिजली देती है वह बिजली हम करीब 5 रूपये यूनिट से खरीदते है. इस सब्सिडी का सरकार के पास हमारा जो बकाया है, वह सरकार नहीं दे रही है. और जानबूझकर इसे घाटे में दिखाते हुए इसे प्राइवेटीकरण कर बेचने का निर्णय लिया है. हम लोगों ने इशारा देते हुए अभी दो दिन का हड़ताल किया है. अगर सरकार हमारी मांगो को नहीं मानती है. तो हम सभी आने वाले समय में अनिश्चित काल की हड़ताल पर चले जायेंगे .
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मेस्मा कानून का सरकार हथियार के रूप में करती है प्रयोग
सरकार द्वारा मेस्मा कानून लागू करने पर भड़के अधिकारीयों और कर्मचारीयों का कहना था, की सरकार हमेशा मेस्मा कानून का हथियार के रूप में प्रयोग करती है.लेकिन हम इस कानून से डरने वाले नहीं है. हम जेल जाने को तैयार है . आज हमारे जीने मरने का सवाल उठ रहा है.और जब हमारी नौकरी नहीं रहेगी,हम नहीं रहेंगे तो मेस्मा कानून क्या करेगा.
ऊर्जा मंत्री ने लिखित नही दिया आश्वासन
दो दिन चलने वाले इस राज्यव्यापी हड़ताल में बिजली विभाग के करीब 39 संघटना ने हिस्सा लिया है.उनका कहना है की ऊर्जा मंत्री ने हमें जुबानी आश्वासन दिया है, की यह विभाग प्राइवेटीकरण नही होगा. जब हमने इस जबाब को लिखित रूप मांगा तो उन्हों इसमें असमर्थता दिखाई. इस लिए उर्जा मंत्री के बातों पर हमें विश्वास नहीं है.