महाराष्ट्र पहुंची पहली ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ || ग्रीन कॉरिडोर बना लाए गए ऑक्सीजन से भरे टैंकर
मुंबई. कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों के लिए जरूरी ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार की मदद के लिए रेलवे ने पहली बार ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाई. इस चुनौती का सामना करने के लिए कलंबोली से विशाखापट्टणम तक और वापस नासिक तक पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस सफलतापूर्वक चलाई गई. महाराष्ट्र सरकार की मांग पर रेलवे ने मध्य रेलवे ने तत्काल प्रयास करते हुए कलंबोली में 24 घंटे में रैंप बनाया ताकि
रो-रो सेवा के माध्यम से 7 खाली टैंकरों को लाद कर रवाना किया गया. रेलवे को कुछ स्थानों पर घाट सेक्शन, रोड ओवर ब्रिज, टनल, कर्व्स, प्लेटफॉर्म कैनोपीज़, ओवर हेड इक्विपमेंट आदि विभिन्न बाधाओं पर विचार करते हुए पूरे मार्ग का एक खाका तैयार करना पड़ा. अधिकारियों के अनुसार रेलवे ने वसई के रास्ते मार्ग का खाका तैयार किया. 3320 मिमी की ऊंचाई वाले सड़क टैंकर T1618 के मॉडल को फ्लैट वैगनों पर रखा जाना चुनौतीपूर्ण रहा. चूंकि ऑक्सीजन क्रायोजेनिक और खतरनाक रसायन है. बीच-बीच में प्रेशर की जांच करनी पड़ती है, जब यह भरी हुई स्थिति में हो.
कलंबोली से विशाखपट्टणम के बीच की दूरी 1850 किमी केवल 50 घंटों में पूरी की गई थी. 100 से अधिक टन एलएमओ (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) वाले 7 टैंकरों को 10 घंटे में लोड किया गया और केवल 21 घंटे में वापस नागपुर ले जाया गया. रेलवे ने शुक्रवार को नागपुर में 3 टैंकरों को उतारा और 4 टैंकर शनिवार की सुबह 10.25 बजे नासिक पहुंच गए.
कम समय में पहुंची ऑक्सीजन
ट्रेनों के माध्यम से ऑक्सीजन का परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में लंबा है परंतु फ़ास्ट है. रेलवे द्वारा परिवहन में दो दिन लगते है जबकि सडक मार्ग द्वारा 3 दिन लगते है.
ट्रेन 24 घंटे चलती है, ट्रक ड्राइवरों को रोड पर हाल्ट आदि लेने की आवश्यकता होती है. इसके साथ टैंकरों की तेज गति के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है और आवाजाही की निगरानी शीर्ष स्तर पर की गयी. रेलवे का यह पहला प्रयोग सफल रहा है. आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरी करने के लिए रेलवे तैयार है. कोरोनाकाल में
रेलवे आवश्यक वस्तुओं का परिवहन कर रही है. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखने में रेलवे ने मुख्य भूमिका निभाई है.