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मचे घमासान में विरोधियों को मनाने में भाजपा के छूटे पसीने

मेरठ, 11 नवम्बर (हि.स.)। टिकट वितरण के बाद मचे घमासान में भाजपा को अपने बागियों को मनाने में पसीने छूट रहे हैं। टिकट बंटवारे में पार्टी संगठन पूरी तरह से दरकिनार रहा तो विधायक अपने चहेतों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। अब पार्टी इस अंदरूनी घमासान को दबाने में पूरी ताकत से जुटी है, लेकिन कई वार्डों में हालात गंभीर बने हुए हैं।

नामांकन कराने के बाद से ही अपने विरोधियों को मनाने में भाजपा प्रत्याशियों की सांसें थमी हुई है। अपने रूठों को मनाने में ही भाजपा प्रत्याशियों का दम निकल रहा है। इसके बाद भी कई बागी किसी भी हद तक मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में पार्टी संगठन की बेचैनी बढ़ी हुई है। कहने के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में 26 प्रत्याशियों के पर्चे वापस करा लिए, लेकिन टिकट ना मिलने से नाराज पूर्व पार्षद रविंद्र तेवतिया, सहंसरपाल, राजेश खन्ना अंधेरा पार्टी की मुश्किल बढ़ा रहे हैं।

भाजपा कार्यकर्ता मनोज गोस्वामी तो शिव सेना प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ रहे हैं। वह किसी भी नेता के समझाने पर भी नहीं माने। वार्ड 52 में अरूण शर्मा ने भी भाजपा प्रत्याशी के विरोध में ताल ठोंकी हुई है। इसी तरह से वार्ड 44 में इंद्रजीत पुरी बागी प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में है। पल्लवपुरम वार्ड से अजीत सिंह भी निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। इन बागी प्रत्याशियों का साफ कहना है कि स्क्रीनिंग और हार-जीत की पड़ताल करके टिकट बांटने की बात महज छलावा थी। विधायकों ने अपने चहेतों को जमकर टिकट बंटवाए हैं। मेरठ दक्षिण विधानसभा में तो बसपा से आए कई लोगों को विधायक ने टिकट दिलवा दिए। जबकि पार्टी संगठन की नहीं सुनी गई।

एक दर्जन बागी पार्षद जीते थे चुनाव

बागी होकर भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ कोई पहली बार भाजपाई चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं। 2012 के निकाय चुनावों में भी बहुत सारे भाजपाईयों ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। इनमें से एक दर्जन बागी पार्षद बनने में भी कामयाब हो गए। इसके बाद नगर निगम में अपना आंकड़ा बढ़ाने के लिए भाजपा ने इन बागी पार्षदों को उनके अपराध क्षमता करके पार्टी में शामिल कर लिया। अब इन बागियों के सामने चुनाव जीतकर अपना अस्तित्व बचाने की भी चुनौती है। 2012 के बागी रहे नरेंद्र राष्ट्रवादी इस बार अपनी पत्नी को टिकट दिलाने में कामयाब रहे।

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