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मई दिवस पर शिकागो के अमर शहीदों को याद कर निकाली पदयात्रा

वाराणसी, 01 मई (हि.स.)। मई दिवस पर सोमवार को शिकागों के अमर शहीदो को शिद्दत से याद किया गया। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एंटक) के सभी घटक से जुड़े कार्यकर्ता मजदूर प्रदेश सचिव कामरेड अजय मुखर्जी के अगुवाई में भदैनी में जुटे। फिर यहां से एंटक के गोदौलिया कार्यालय तक विशाल जुलूस निकाला। पूरे रास्ते कार्यकर्ता शिकागो के अमर शहीदों को लाल सलाम की नारेबाजी करते रहे।

गोदौलिया कार्यालय में हुयी सभा में वक्ताओं ने कहा कि जिन मेहनतकश मजदूरों ने अपने आठ घंटे के काम के अधिकार के लिए बलिदान दिया। वर्षों से प्राप्त उन अधिकारों को कारपोरेट घरानों के शह पर सरकार छीन रही है। श्रम कानूनो में विभिन्न प्रावधानों के जरिये असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए ईएसआई कर्मचारी राज्य बीमा की सुविधा से भी वंचित किया जा रहा है। इस दौरान वक्ताओं ने केन्द्र सरकार और उसकी श्रम विरोधी नितियों को कोसा। सभा में कामरेड निजामुद्दीन, देवाशीष, सुरेश श्रीवास्तव, विजय कुमार आदि ने विचार रखे।

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गौरतलब हो कि पहली मई मई दिवस पर आठ घण्टे काम के दिन के लिए शिकागो में मजदूरों ने जोरदार आन्दोलन किया था। उन दिनों मजदूर चौदह से लेकर सोलह-सोलह घण्टे तक खटते थे। सारी दुनिया में इस मांग को लेकर मजदूर जगह-जगह आन्दोलन कर रहे थे। अपने देश में भी 1862 में ही मजदूरों ने इस मांग को लेकर कामबन्दी की थी लेकिन पहली बार बड़े पैमाने पर 1886 में अमेरिका के कई मजदूर संगठनों ने मिलकर आठ घण्टे काम की मांग पर एक विशाल आन्दोलन खड़ा करने का फैसला किया। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मजदूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हजार मजदूर शामिल थे। शिकागो शहर के आसपास सारा रेल यातायात ठप्प हो गया और शिकागो के ज्यादातर कारखाने और वर्कशाप बन्द हो गये।

कारखाना और उद्योग मालिकों ने मजदूरों की हड़ताल तोड़ने के लिए लाये गये अपने आदमियों से सभा में बवाल कर निहत्थे मजदूरों पर गोलियां चलवाईं। इसके बावजूद मजदूरों का आन्दोलन चलता रहा। मजदूरों ने अपने खून से रंगे अपने कपड़ों को ही अपना लाल झण्डा बना लिया। पूरे शिकागो में पुलिस ने मजदूर बस्तियों, मजदूर संगठनों के दफ्तरों, छापाखानों आदि में जबरदस्त छापे डाले। सैकड़ों लोगों को मामूली शक पर पीटा गया और बुरी तरह टॉर्चर किया गया। आठ मजदूर नेताओं – अल्बर्ट पार्सन्स, आगस्टस स्पाइस, जार्ज एंजेल, एडाल्फ फिशर, सैमुअल फील्डेन, माइकेल श्वाब, लुइस लिंग्ग और आस्कर नीबे पर मुकदमा चलाकर उन्हें हत्या का मुजरिम करार दिया गया।

इसके बाद 20 अगस्त 1887 को शिकागो की अदालत ने अपना फैसला दिया। 11 नवम्बर 1887 पार्सन्स, स्पाइस, एंजेल और फिशर को शिकागो की कुक काउण्टी जेल में फांसी दे दी गयी। इसके बाद 13 नवम्बर को चारों मजदूर नेताओं की शवयात्रा शिकागों के मजदूरों की एक विशाल रैली में बदल गयी। छह लाख से भी ज्यादा लोग इन नायकों को आखिरी सलाम देने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े। तब से आज तक उन शहीद मजदूरों को मई दिवस पर याद किया जाता है।

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