भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाये : राज्यसभा
National. नई दिल्ली, 16 मार्च= राज्यसभा में गुरुवार को भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठी। जदयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी ने मांग उठाते हुए कहा कि देश में 20 से 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं| इसलिए भोजपुरी को संविधान की आंठवी अनुसूची में जल्द शामिल किया जाना चाहिए।
अंसारी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के बारे में सरकार ने चार बार संसद में आश्वासन दिया है। चुनाव के दौरान नेता भोजपुरी में एक दो वाक्य बोल कर मतदाताओं को लुभाते हैं। लेकिन भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग धरी की धरी ही रह जाती है।
इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने अंसारी से भोजपुरी में बोलने को कहा। इस पर मुस्कुराते हुए अंसारी ने अपनी आगे की बात भोजपुरी में रखी। उन्होंने कहा ‘‘भोजपुरी एक मीठी भाषा है और इसकी मिठास चीनी की तरह नहीं बल्कि गुड़ की तरह है। यह भाषा गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है।’’ उन्होंने मांग की कि देशभर में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा भी उनकी मातृभाषा में दी जानी चाहिए। जदयू की दिल्ली इकाई ने गृह मंत्री को एक पत्र लिख कर भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी की है। इस सूची में फिलहाल 22 भाषाएं हैं। विभिन्न दलों के सदस्यों ने अंसारी के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।
उल्लेखनीय है कि आठवीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाओं का उल्लेख है। इस अनुसूची में आरम्भ में 14 भाषाएं (असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू) थीं। बाद में सिंधी को तत्पश्चात कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली को शामिल किया गया था। जिससे इसकी संख्या 18 हो गई। उसके बाद बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली को शामिल किया गया था। इस प्रकार इस अनुसूची में 22 भाषाएं हो गईं।