भारत-चीन सीमा पर कम हुआ तनाव, कुछ स्थानों जारी रह सकती है सैनिकों की तैनाती
-दोनो देशों के टाप कमांडर्स के बीच हाट लाइन संपर्क स्थापित करने की तैयारी
नई दिल्ली (ईएमएस)। डोकलाम के मुद्दे पर लेकर भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा रेखा पर पैदा हुआ तनाव अब खत्म होने की स्थिति में है। हालांकि, डोकलाम में कुछ जगहों पर दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों की तैनाती बनी रह सकती है। लेकिन भारत और चीन टॉप कमांडर्स के बीच हॉटलाइन संपर्क स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा दोनों देश मिलिट्री एक्सचेंज और साझा अभ्यास करने को लेकर भी सहमत दिख रहे हैं। शीर्ष रक्षा अधिकारियों ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुए अनौपचारिक समिट में इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों देश अपनी सेनाओं को ‘स्ट्रैटेजिक गाइडेंस’ देंगे ताकि तनाव को कम किया जा सके।
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमा पर जिन स्थानों पर विवाद है, वहां सैनिकों को पट्रोलिंग के दौरान जरूरी प्रोटोकॉल और मेकेनिज्म का पालन करने का आदेश दिया जाए। इससे विवाद की स्थितियों को टालने में मदद मिल सकेगी। एक सीनियर अधिकारी ने कहा सेनाओं के ऑपरेशंस को लेकर तनाव आने वाले कुछ दिनों में कम होगा। बैनर ड्रिल्स, फ्लैग मीटिंग्स और बॉर्डर पर्सनल मीटिंग्स समेत ऐसे कई मेकेनिज्म हैं, जिनके जरिए सीमा पर स्थितियों को सुधारा जा सकता है। लेकिन, जमीनी तौर पर इनका क्रियान्वयन बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा है। दोनों देशों के बीच अक्टूबर, 2013 में बॉर्डर डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट हुआ था, हालांकि यह अब भी पूरी तरह से ऑपरेशन में नहीं है।
बॉर्डर डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट के तहत खासतौर पर इस बात पर रोक है कि किसी एक पक्ष की ओर से पेट्रोलिंग के जवाब में पट्रोलिंग की जाए। विशेषतौर पर ऐसी जगहों पर प्रेट्रोलिंग के दौरान ऐसा करने पर रोक है, जहां दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर आपसी सहमति नहीं हैं। भारत और चीन के बीच लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक 4,057 किलोमीटर लंबी वास्तविक सीमा रेखा है, जिसमें 23 इलाकों को लेकर विवाद की स्थिति है। यहां अकसर एक-दूसरे की तरफ से पट्रोलिंग को लेकर आपत्ति उठती रहती है। सन 2017 की ही बात करें, तो भारत ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ओर से 426 घुसपैठ और अतिक्रमण की कोशिशों का विरोध जताया था।
सन 2016 में यह आंकड़ा 273 का ही था। एक अधिकारी ने कहा उम्मीद है कि अब दोनों पक्ष विवाद की बड़ी वजहों को टालने का प्रयास करेंगे और अपनी चौकियों में लौट आएंगे। यदि कोई मसला होगा तो उसे फ्लैग मीटिंग्स के दौरान अपने स्तर पर उठाएंगे। इस सब के बावजूद हम अपनी चौकसी कमजोर नहीं करने जा रहे।