पटना, 29 दिसम्बर= बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैशलेस की बात करते हैं| दूसरी तरफ भाजपा बड़े पैमाने पर नगद का लेनदेन कर रही है। गाजियाबाद में पुलिस द्वारा तीन करोड़ रूपये का पकड़ा जाना, भाजपा की दो मुंही नीति का सबूत है।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने गुरुवार को कहा कि नोटबंदी के बाद से देशभर में बड़े पैमाने पर नए-पुराने नोट जो पकड़े गए हैं, उनमें बीजेपी नेताओं भी शामिल हैं। इसी प्रकार, नोटबंदी के बाद इस पार्टी ने देशभर में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद की है। इन सबसे ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश को तो लाइन में लगा दिया, मगर खुद को और अपनी पार्टी को इन सबसे छूट दे रखी है।
प्रधानमंत्री की खुद की पार्टी के दफ्तर में तीन करोड़ रुपये नकद क्यों भेजे गए? राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि खबरों के अनुसार गाजियाबाद में दो कारों से तीन करोड़ रुपये पकड़े गए। बाद में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का पत्र आने पर रुपये दे दिये गये जिसमें उन्होंने लिखा था कि रुपये भाजपा के हैं|
उन्हें लखनऊ कार्यालय भेज जा रहा था। बीजेपी का नकद व्यवहार कई सवाल खड़े करता है। आखिर क्या कारण है कि यह पार्टी अपनी ही सरकार का कानून नहीं मान रही? क्या अंदर-अंदर काला-सफेद का कोई खेल चल रहा है? कहीं यूपी चुनाव के मद्देनज़र वहां बड़े पैमाने पर रुपये तो जमा तो नहीं किए जा रहे हैं? हज़ारों की संख्या में वाहन और सैकड़ों की संख्या में प्रचार रथों जैसी तैयारी में भी सैकड़ों-हज़ारों करोड़ रुपये लगते हैं। रुपये जो पकड़ में आ गए, उनकी खबर बन गई। मगर जो रूपये पकड़ में नहीं आए, वे कितने हैं? कहां से आ रहे हैं? कहां है उनका हिसाब-किताब?