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बोतल से फिर निकला बोफोर्स का जिन्न, सीबीआई ने 12 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी

नई दिल्ली, 02 फरवरी (हि.स.)। बोफोर्स तोप सौदे का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकला है| सीबीआई ने आज बोफोर्स मामले में करीब 12 साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई 2005 को बोफोर्स मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। सीबीआई द्वारा ये याचिका तब दायर की गई है जब हाल ही में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सीबीआई को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती न देने की सलाह दी थी। उनकी राय में 12 साल के विलंब के बाद फैसले को चुनौती देने से याचिका के खारिज होने की संभावना ज्यादा है।

पिछले 30 जनवरी को इस मामले के याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वे सीबीआई को निर्देश दें कि वे बोफोर्स मामले में सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ सुप्रीम कोर्ट में तुरंत हलफनामा दें।

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कहा था कि इस मामले के बारह साल बीत चुके हैं| इसलिए अगर कोई याचिका दायर की जाती है तो उसे खारिज होने की संभावना ज्यादा है। अटार्नी जनरल के मुताबिक बोफोर्स मामले में जो याचिका दायर की गई है उसमें सीबीआई को एक पक्षकार बनाया गया है। इसलिए सीबीआई को वर्तमान याचिका में अपना पक्ष रखना चाहिए।

सीबीआई के मुताबिक अब उसके पास कुछ नए साक्ष्य मिले हैं| जिसके आधार पर इस मामले की जांच की मांग कर रही है। इन साक्ष्यों को आधार बनाते हुए सीबीआई जब अटार्नी जनरल से मिली तो उन्होंने मौखिक रुप से दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने की अनुमति दी। 
पिछले 31 जनवरी को इस मामले के याचिकाकर्ता और वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर मांग की कि इस मामले की सुनवाई से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को अलग रखा जाए। उन्होंने याचिका में कहा है कि इस मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है। अजय अग्रवाल ने कहा है कि पिछले 16 जनवरी को चीफ जस्टिस ने लगातार विरोध करने के बावजूद कपिल सिब्बल को हस्तक्षेप करने की इजाजत दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 16 जनवरी को उनसे पूछा था कि बोफोर्स मामले की जांच की मांग करने वाली उनकी याचिका क्यों न खारिज कर दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्पष्टीकरण देने के लिए अंतिम मौका देते हुए कहा कि 2 फरवरी तक जवाब देने का निर्देश दिया था। 
इससे पहले की सुनवाई के दौरान वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस मामले में नये सबूत मिले हैं। अजय अग्रवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पिछले 12 वर्ष से लंबित है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई 2005 को अपने फैसले में बोफोर्स तोप सौदे के मामले में हिंदुजा बंधुओं को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। पिछले साल दिसंबर में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसे दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने की मंजूरी नहीं मिली थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने की समय सीमा 17 सितंबर 2005 को खत्म हो गई थी जिसके बाद अजय अग्रवाल ने ये याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट 18 अक्टूबर 2005 को इस अर्जी पर सुनवाई को सहमत हो गया था। तब से लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट में ये मामला लंबित है।

बोफोर्स मामले ने पूर्ववर्ती स्व. राजीव गांधी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। लेकिन अब तक इस मामले में कोई दोषी नहीं ठहराया जा सका है।

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