बोईसर में डिलीवरी के दौरान एक महिला की मौत .
केशव भूमि नेटवर्क BOISAR : मुंबई सटे पालघर जिला के बोईसर में गुरुवार को बोईसर के चिन्मया हॉस्पिटल की डॉ.कल्पना बारा पात्रे की लापरवाही के चलते कल्याणी कुलदीप सांबरे (22 वर्ष) नामक एक महिला की डिलीवरी के दौरान मौत हो गयी . यही नहीं इसके पहले भी इस डॉक्टर की लापरवाही के कारण और कई महिलावो की मौत हो चुकी है .
पालघर जिले में डिलीवरी के दौरान महिलाओ की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है .एक साल में करीब दर्जनों महिलाओ की मौत हो चुकी है. लेकिन प्रशासन इन मौतों से अनजान बैठा है .जिसके कारण डॉक्टरो की लापरवाही की घटनाओ में कमी नहीं आ रही है.
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बताया जा रहा है की बोईसर की रहने वाली कल्याणी कुलदीप सांबरे को बुधवार को डिलीवरी के लिए बोईसर के चिन्मया हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था .जहा डॉ.कल्पना बारा पात्रे ने इस महिला की सिजरिंग करके डिलेवरी कराई , लेकिन सिजरिंग के दौरान इस महिला का ज्यादा खून बह गया और उसकी हालत गंभीर हो गयी, जिसके बाद उसे पालघर ढवले हास्पिटल में भर्ती कराया गया जंहा इस महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई . इस घटना की खबर लगते ही महिला के रिश्तेदारों में रोष व्याप्त हो गया और वह पालघर पुलिस स्टेशन में पहुच कर डॉक्टर के विरोध में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की . लेकिन पालघर पुलिस ने यह कहते हुए उनकी शिकायत नहीं ली की हम डायरेक्ट डॉक्टर पर मामला दर्ज नहीं कर सकते. पुलिस ने महिला के रिश्तेदारों के बयान दर्ज करके महिला के शव को पीएम के लिए भेज दिया .
पुलिस का कहना, डॉक्टर पर मामला दर्ज नहीं कर सकते
जब इस बारे में KBN 10 NEWS ने पालघर पुलिस आधिकारियो से बातचित की तो उनका कहना था कि कानून इस मामले में हम डायरेक्ट डॉक्टरो पर मामला दर्ज नहीं कर सकते . हमने उनके बयान दर्ज कर लिए है . इस मामले में सिविल सर्जन के अध्यक्षता में डॉक्टरो की एक टीम इस मामले की जाँच करती है अगर उस जाँच में डॉक्टर की लापरवाही सामने आती है तो उस टीम की सिफारस पर डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज होता है .
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रिश्तेदारो ने लगाया दुसरे ग्रुप का ब्लड चढाने का आरोप.
वही मृतक महिला के रिश्तेदारो का कहना है की इस मामले में डॉक्टर की लापरवाही सीधा सीधा दिखाई दे रहा है . डॉक्टर ने जो खून चढाया है वह भी दुसरे ग्रुप का हैं , जिसके कारण शारीर पर जगह जगह खून के चकते जम गए है . और पुलिस डॉक्टर पर मामला दर्ज करने के बजाय ऐसे कानून का हवाला देकर उन्हें बचा रही है .अगर कभी किसी मरीज का रिश्तेदार किसी डॉक्टर को एकाध थपड मार दे तो पुरे राज्य के डॉक्टर हंगामा खड़ा कर देते है . और पुलिस तुरंत मामला दर्ज कर लेती है लेकिन जब डॉक्टर की गलती से कोई मरता है तो डॉक्टर पर कोई मामला दर्ज नहीं होता है .
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