बिजली बकाए में उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग देशभर में अव्वल , दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र
नई दिल्ली (ईएमएस)। उत्तर प्रदेश में भले ही छोटे बिजली उपभोक्ताओं के लिए जरा से बकाए पर उसके कनेक्शन काट दिए जाते हैं। लेकिन मामला अगर सरकारी विभाग से जुड़ा है तो यहां बिल देने की कोई जरूरत ही नहीं है। हालांकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री लगातार सरकारी विभागों से बिजली बिल बकाए की वसूली को लेकर अभियान आदि चलाने के निर्देश देते हैं। लेकिन समस्या का हल आज तक निकल नहीं पाया। स्थिति यह है कि इस समय यूपी के सरकारी विभाग बिजली बकाए के मामले में देश में नंबर एक पर हैं। 31 दिसम्बर-2017 के आंकड़ों के अनुसार यूपी के सरकारी विभागों पर 10 हजार 722 करोड़ रुपए का बकाया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अनुसार भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आंतरिक स्तर पर जारी की गई उदय न्यूज डायरी में मई, 2018 में जारी हुए आंकड़े पर नजर डालें तो सरकारी विभागों पर बकाए में यूपी शीर्ष पर है।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले नौ महीने में बिजली बकाए में 1869 करोड़ रुपए की बढ़त हो गई है। 31 मार्च-2017 को प्रदेश में सरकारी विभागों पर कुल बकाया 8853 करोड़ रुपए था, यही दिसम्बर, 2017 के अन्त तक बढ़कर 10,722 करोड़ रुपए हो गया है। मामले में उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री से मांग की है कि सरकारी विभागों के बकाए को बजटीय प्रावधान बनाकर बिजली विभाग को दिलाया जाए। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यूपी में सरकारी विभागों में हमेशा करोड़ों का बकाया रहता है। उनके कनेक्शन भी काटे जाते हैं और सिर्फ कोरे आश्वासन के बाद कुछ ही घंटों में कनेक्शन जोड़ दिए जाते हैं। सरकार चाहे तो बजटीय प्रावधानों के अनुसार सभी विभागों का एकमुश्त बकाया वह पावर कार्पोरेशन को दिला सकती है। अवधेश वर्मा ने कहा कि दूसरी तरफ जब बिजली दर बढ़ाने की बात आती है, तो आम जनता की दरों में बढ़ोतरी कराई जाती है।
लेकिन सरकारी विभाग पर वसूली के दौरान रहम ही किया जाता है। हालांकि 10722 करोड़ के बकाए के साथ उत्तरप्रदेश अव्वल जरुर है, पर महाराष्ट्र में 5600 करोड़, केरल में 4910, तेलंगाना में 4430, आन्ध्रप्रदेश में 3803, कर्नाटक में 2307, हरियाणा में 1185, राजस्थान में 1006, बिहार में 902 और मध्यप्रदेश में 890 करोड़ रुपए का इसी तरह का बकाया है।