बाल यौन शोषण के खिलाफ जागृति जरूरी- राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (हि.स.) भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कहना है कि बच्चों का यौन शोषण एक बहुत गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है। लोकलाज के कारण लोग इस पर बात नहीं करना चाहते। हमें देखना होगा कि इंसान की शक्ल में घूम रहे हैवान हमारे बचपन का शोषण न कर सकें। हम सुनिश्चित करें कि जब हमारा देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा हो, तब बचपन को कुचलने का एक भी वाक्या देश में सामने न आए। राष्ट्रपति ने यह बातें नोबल पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में देश भर में आयोजित भारत यात्रा के समापन समारोह में कहीं। राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित सांस्कृतिक केन्द्र के भव्य समारोह में आयोजित समापन समारोह में अनेक धर्मों के प्रमुख, कई देशों के राजदूत व यात्रा में शामिल रहे कार्यकर्ता उपस्थित थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि ग्रामीण परिवेश मे पला-बढ़ा होने के कारण मुझे आभास है कि वहां सामान्य रूप से खाना, पहनना, पढ़ना और आगे बढ़ना कितना कठिन होता है। इस सबके बीच कहीं-कहीं यह सुनाई दे कि हमारे भविष्य का आधार हमारे बच्चे यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं या मानव तस्करी के जाल में फंस जाते हैं, तो यह एक गंभीर विषय है। इस पर कोई आवाज नहीं उठा रहा था। होता यह है कि कोई बच्ची अगर किसी यौन अपराधी का शिकार हो जाती है तो उसके परिवार वाले ही उसे चुप रहने को कहते हैं और खुद भी चुप रहते हैं और समाज भी चुप रहता है। इसके चलते यह प्रवृत्ति घातक होती जा रही है। इसके खिलाफ लोगों को आवाज उठानी ही चाहिए, सजग रहना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि अगर बच्चों और बचपन के साथ यह अत्याचार होता रहा तो हमारे देश का आर्थिक विकास अधूरा ही रहेगा।
‘सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत’ का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि बच्चों को भविष्ट का बेहतर भारतीय नागरिक बनाएं। देश में ऐसे वातावरण का निर्माण हो कि हरेक बच्चा अपनी पूरी क्षमता और ऊर्जा के साथ आगे बढ़े। उसे आगे बढ़ने के पूरे अवसर मिलें। बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए देश में जन जागरण की आवश्यकता है। इसके लिए कैलाश सत्यार्थी के प्रयासों की राष्ट्रपति ने सराहना की। समारोह से पहले राष्ट्रपति ने बाल सुरक्षा ज्योति जलाकर इसके लिए संदेश भी दिया।
उल्लेखनीय है कि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में बाल यौन शोषण और मानव तस्करी के खिलाफ भारत यात्रा का आयोजन किया गया था। 11 सितम्बर को शुरू हुई यह यात्रा 16 अक्टूबर को समाप्त हुई। इस दौरान 22 राज्यों में लगभग 12 हजार किलोमीटर की यात्रा में जगह जगह पर रैलियां, सभाएं आदि हुईं।